WHO: 132 देशों में फैल चुका डेल्टा वैरिएंट, ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे 29 देश
जानलेवा डेल्टा वैरिएंट दुनिया के करीब 132 देशों में फैल चुका है
जानलेवा डेल्टा वैरिएंट दुनिया के करीब 132 देशों में फैल चुका है। इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं और रिपोर्ट भी हो रहे हैं। इसको देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामलों और इससे होने वाली मौतों में तेजी आ रही है जो चिंता का विषय है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पिछले सप्ताह पूरी दुनिया में कोरोना के 40 लाख नए मामले सामने आए हैं। संगठन की तरफ से ये भी कहा गया है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दो सप्ताह में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 20 करोड़ को पार कर जाएंगे।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयसेस ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान जिनेवा में बताया है कि दुनिया में कोरोना संक्रमण के वास्तविक मामले अब तक सामने आए मामलों से कहीं अधिक हो सकते हैं। उन्होंने अपने इस बयान से इस ओर इशारा किया है कई देश अपने यहां पर आने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों की वास्तविक संख्या को सामने नहीं ला रहे हैं।डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक पहले भी इस बात की आशंका जता चुके हैं। उनके मुताबिक संगठन के छह में से करीब पांच ऐसे क्षेत्र है जहां पर कोरोना संक्रमण के मामले औसतन 80 फीसद तक बढ़ गए हैं। पिछले चार सप्ताह के दौरान ये दोगुने हो गए हैं। इस दौरान अफ्रीका में कोरोना से मरने वालों की संख्या में करीब 80 फीसद की तेजी दर्ज की गई है। डॉक्टर टैड्रॉस ने कोरोना के मामलों में आई तेजी की वजह से डेल्टा वैरिएंट को माना है।
उनका कहना है कि सगठन के विशेषज्ञ अपने सहयोगियों के साथ इस वैरिएंट के इतनी तेजी से फैलने की वजहों को समझने की कोशिश में लगे हैं। संगठन ने इसको लेकर एक चेतावनी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि कोविड-19 वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। संगठन के मुताबिक इसके चार ऐसे वैरिएंट उभर चुके हैं जो सभी की चिंता की वजह बने हुए हैं। संगठन की तरफ से ये भी कहा गया है कि जब तक वायरस के फैलने के प्रभाव को रोका नहीं जाएगा इसके वैरिएंट भी सामने आते रहेंगे।
टैड्रॉस ने ये भी कहा है कि एक दूसरे से दूरी बनाने के उपायों को सख्ती से लागू न करने या इनका कड़ाई से पालन न किए जाने की वजह से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि इस तरह से महामारी की रोकथाम को लेकर जो प्रगति हासिल हुई है उसको खोने का डर पैदा हो रहा है। कई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं पर जबरदस्त बोझ है।
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि इसके बढ़ने की एक वजह कम टेस्टिंग का होना भी है। अमीर देशों की तुलना में निम्न आय वाले देशों में केवल दो फीसद ही परीक्षण किये जा रहे हैं। इसके चलते इस बीमारी के प्रति समझ बढ़ाने और इसमें हो रहे बदलाव को समझने में मुश्किलें आ रही हैं। 29 देशों में इसके बढ़ते मामलों की वजह से ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है। वहीं कई देशों में फ्रंटलाइन वर्कर्स के पास जरूरी इक्यूपमेंट भी नहीं हैं।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि ऐसे देशों को संगठन हर संभव मदद मुहैया करवाने की कोशिश में लगा हुआ है। आपको बता दें कि संगठन की तरफ से सितंबर 2021 तक 10 फीसद और दिसंबर 2021 तक करीब 40 फीसद आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य है। वहीं 2022 में करीब 70 फीसद आबादी को वैक्सीन देने का लक्ष्य तैयार किया गया है।