अनोखी योजना! आखिर कैसी होगी चंद्रमा और मंगल तक जाने वाली ट्रेन
चंद्रमा और मंगल तक जाने वाली ट्रेन
अभी तक बुलेट ट्रेन (Bullet Train) पृथ्वी पर दौड़ने वाली सबसे तेज ट्रेन मानी जाती रही हैं. लेकिन आने वाले कुछ दशकों में शायद ऐसा नहीं होगा क्यों जापान (Japan) अब अंतरिक्ष के लिए पृथ्वी से चंद्रमा और मंगल तक के लिए बुलेट ट्रेन (Bullet Train for Moon and Mars) बनाने की योजना बना रहा है. यानि अब आने वाले भविष्य में दो ग्रहों के बीच ट्रेन चलना केवल विज्ञानफंतासी फिल्मों तक ही सीमित नही रह जाएगा. खबरों के मुताबिक जापान ने इंसानों को मंगल और चंद्रमा तक भेजने केलिए अपनी एक योजना प्रस्तुत की है.
बदल सकता है कि अंतरिक्ष यात्रा का संसार
जापान ने इसके साथ ही चंद्रमा और मंगल के लिए ऐसी आवासीय संरचना का भी प्रस्ताव दिया है जहां पृथ्वी जैसे गुरुत्व के साथ वायुमडंल और पेड़ पौधे वाला वातावरण भी मिल सकेगा. वैदर चैनल की रिपोर्ट के मुतिबाकि काजिमा कंस्ट्रक्शन्स के साथ जापान की कोयोटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस योजना पर काम कर रहे हैं जिससे अंतरिक्ष यात्रा का संसार बदल सकता है.
कैसा होगा यह तंत्र
जापान के शोधकर्ताओं ने इस अंतरग्रहीय परिवहन तंत्र को हेक्जाट्रैक नाम दिया है. इसकी खासियत होगी के यह लंबी दूरी की यात्राओं के दौरान कम गुरुत्व के माहौल में ही 1G का गुरुत्व कायम रखेगी. इन ट्रेन के हैक्जगोनल यानि षटकोणीय आकार के कैप्स्यूल होंगे जिन्हें हैक्जाकैप्स्यूल कहा जाएगा.
कैप्स्यूल का उपयोग
जापानी शोधकर्ताओं के प्रस्ताव के मुताबिक 15 मीटर का त्रिज्या वाला एक मिनी कैप्स्यूल पृथ्वी और चंद्रमा को जोड़ने काकाम करेगा और वहीं चंद्रमा और मंगल को जोड़ने के लिए 30 मीटर की त्रिज्या के कैप्स्यूल की जरूरत पड़ेगी. इन कैप्स्यूल में एक तरह की विद्युतचुंबकीय तकनीक का इस्तेमाल हगा जो जर्मनी और चीन में मैग्लेव ट्रेन में उपयोग में लाई जाती है.
Space, Moon, Mars, Earth, Japan, Staller bullet Train, Hexatrack, Interplanetary Transport System, Interplanetary Trains, इस प्रस्ताव मे बताया गया है कि ट्रेन (Space Train) पृथ्वी से चंद्रमा और मंगल तक अलग अलग स्टेशन से कैसे जाएंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कौन कौन से स्टेशन
चंद्रमा पर मौजूद स्टेशन एक तरह का गेटवे सैटेलाइट का उपयोग करेंगे और उसे लूनार स्टेशन कहा जाएगा. वहीं मंगल ग्रह के ट्रेन स्टेशन को मार्स स्टेशन कहा जाएगा. इसे मंगल के ग्रह फोबोस पर स्थापित किया जाएगा. वहीं पृथ्वी के स्टेशन टैरा स्टेशन कहलाएंगे जिसके बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन होगा. इस स्पेस ट्रेन का नाम स्पेस एक्सप्रेस होगा और यह स्टैंडर्ड गेज ट्रैपर चलेगी.
कैसे चलेगी ट्रेन
हर यान लोगों की गतिविधि के लिए रेडियल सेंट्रल एक्सिस का उपयोग करेगा. स्पेस एक्सप्रेस ट्रेन का स्टैंडर्ड गेज के ट्रैक पर छह कोच के साथ आना जाना होगा. आगे और पीछे के कोच में रॉकेट बूस्टर्स लगे होंगे जो उन्होंने तेजी से आगे बढ़ाने धीमे करने और रोकने के लिए उपयोग में लाए जाएंगे.
ग्रहों के अंदर और बाहर अलग संचालन
ये यान ग्रहों के बाहर चलने के अलावा उनके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से ट्रेन को बाहर निकालने का भी काम इसी तरह से किया करेंगे. लेकिन ग्रहों के वायुमंडल के अंदर इनकी यात्रा कुछ अलग तरह से हुआ करेगी. तब इनके पंख खुला जाएंगे. यह ट्रेन चंद्रमा और मंगल पर हाई स्पीड रेलवे की तरह काम करेगी जो बेस शहरों को जोड़ने का काम करेगी.
शोधकर्ताओं का कहना है कि वे काफी हटकर और मूल अवधारणा के साथ एक समाधान पेश करना चाहते थे. फिलहाल अमेरिका और यूएई मंगल पर बस्ती बसाने के योजनाओं पर काम कर रहे हैं. मंगल और चंद्रमा की मानव यात्रा के लिए नासा द्वारा प्रायोजित शोधकार्य व्यापक विषयों पर जारी हैं. चीन भी स्वतंत्र रूप से अपने योजनाओं पर काम कर रहा है जिनमें मंगल और चंद्रमा पर इंसान भेजने की योजनाएं भी शामिल है. जापानी प्रस्ताव बेशक अंतरिक्ष यात्रा की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लाने वाले सबित होंगे.