स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक रूप से चेहरा ढंकने पर भारी जुर्माने का प्रस्ताव, 'बुर्का बैन' कानून पर मचा बवाल

यह प्रस्ताव उसी समूह ने पेश किया था जिसने 2009 में इस्लामी मीनारों पर प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा था।

Update: 2022-10-13 07:23 GMT

लंदन: यूरोप में मंदी की आहट के बीच भारत के साथ व्‍यापार डील करके ब्रितानी अर्थव्‍यवस्‍था को जान देने की ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन की भारतीय मूल की गृहमंत्री सुएला ब्रावेर्मन ने भारतीय प्रवासियों को लेकर आपत्तिजनक टिप्‍पणी की थी। सुएला की टिप्‍पणी पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इससे पहले ब्रिटिश गृहमंत्री ने भारत के साथ ट्रेड डील पर चिंता जताई थी और कहा था कि इससे ब्रिटेन में प्रवासियों की संख्‍या बढ़ सकती है। उन्‍होंने दावा किया था कि ब्रिटेन में वीजा की अवधि से ज्‍यादा समय तक अवैध रूप से रुकने वाले में समूहों में भारतीयों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है।

ब्रिटिश गृहमंत्री के इस बयान पर भारत ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया जताई है जिससे अब ट्रेड डील के खटाई में पड़ने का खतरा मंडरा रहा है। इस डील की चर्चा के बीच पीएम मोदी के अगले महीने ब्रिटेन के दौरे पर जाने की योजना है। सुएला ने कहा, 'मेरी कुछ आपत्तियां हैं। इस देश में प्रवासियों को देख‍िए- यहां पर जो समूह वीजा अवधि बीत जाने के बाद भी रुका हुआ है, उसमें सबसे ज्‍यादा संख्‍या भारतीयों की है।' भारत ने इस टिप्‍पणी पर कहा कि ब्रिट‍िश मंत्री की यह अशोभनीय टिप्‍पणी बहुत ही चौंकाने वाली और निराशाजनक है।
भारतीयों को वर्क और स्‍टडी वीजा की संख्या बढ़ाने की ब्रिटेन से मांग
भारत ने पर्दे के पीछे से ब्रिटेन से कहा कि सुएला के इस बयान से दोनों ही देशों के बीच रिश्‍ते एक कदम पीछे चले गए हैं। द टाइम्‍स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कहा ब्रिटेन को लेकर अभी भी बहुत अच्‍छी सोच है लेकिन इस तरह के लोग बने रहेंगे तो इससे बातचीत खटाई में पड़ सकती है। भारत ने यह भी कहा है कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से अपनी गृहमंत्री के बयान से खुद को अलग करना चाहिए ताकि ट्रेड डील में कोई बाधा नहीं आए। दरअसल, भारत से ब्रिटेन व्‍यापार में कई तरह की सुव‍िधाएं चाहता है ताकि वह आर्थिक संकट से जूझ रही अपनी अर्थव्‍यवस्‍था में जान डाल सके।बर्न : ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को एक महीना होने वाला है। महिलाएं अपनी मर्जी के कपड़े पहनने की मांग कर रही हैं और हिजाब को जला रही हैं। अब स्विट्जरलैंड ने 'बुर्का बैन' कानून के तहत अपना चेहरा ढंकने पर 900 पाउंड (82 हजार रुपए) के जुर्माने का प्रस्ताव रखा है। स्विस सरकार ने मसौदा कानून को संसद में भेज दिया है। इसमें कई छूट भी शामिल हैं जिनके तहत राजनयिक परिसरों, पूजा स्थलों और विमानों में चेहरा ढंकने पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इसके अलावा स्वास्थ्य, सुरक्षा, जलवायु परिस्थितियों और स्थानीय रीति-रिवाजों से जुड़े कारणों से चेहरा ढंकना वैध होगा। कला के प्रदर्शन और विज्ञापन को भी इसमें छूट दी गई है।
मसौदा कानून के तहत, अधिकारियों की ओर से मंजूरी दिए जाने और सार्वजनिक व्यवस्था का आश्वासन दिए जाने पर, अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मास्क पहनने की अनुमति दी जाएगी। स्विट्जरलैंड में पिछले साल सार्वजनिक रूप से चेहरे को ढंकने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। यह प्रस्ताव उसी समूह ने पेश किया था जिसने 2009 में इस्लामी मीनारों पर प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा था।
मसौदा प्रस्ताव में सीधे तौर पर 'बुर्के' का जिक्र नहीं
चेहरा ढंकने पर जुर्माने के कैबिनेट प्रस्ताव में सीधे तौर पर बुर्के का जिक्र नहीं है। खबरों की मानें तो इसका उद्देश्य हिंसक प्रदर्शनकारियों को मास्क पहनने से रोकना है। लेकिन स्थानीय राजनेताओं, मीडिया और कैंपेनर्स ने इसे 'बुर्का बैन' कहा है। एक बयान में कैबिनेट ने कहा कि चेहरे को ढंकने पर बैन का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करना है। सजा इसकी प्राथमिकता नहीं है। डेलीमेल की खबर के अनुसार प्रतिबंध के समर्थकों का कहना है कि 'चेहरे को ढंकना कट्टरपंथ, राजनीतिक इस्लाम का प्रतीक है।'
यूरोप के कई देशों में बुर्के पर बैन
मुस्लिम समूहों ने भेदभाव के रूप में इस पर वोटिंग की निंदा की है और कानूनी चुनौतियों का प्रण लिया है। सार्वजनिक रूप से पूरे चेहरे को ढंकने पर प्रतिबंध पहली बार 11 अप्रैल 2011 में फ्रांस ने लगाया था। डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और बुल्गारिया में भी सार्वजनिक रूप से चेहरा ढंकने पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध है। स्विट्जरलैंड की आबादी का करीब 5 फीसदी मुसलमान हैं जिनमें से ज्यादातर की जड़ें तुर्की, बोस्निया और कोसोवो से जुड़ी हैं।
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