श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे ने पीएम मोदी से मुलाकात की

Update: 2023-07-27 11:27 GMT

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने हिंदुस्तान से जुड़े एक मुद्दे में सभी दलों का समर्थन मांगा है. मगर आप सोच रहे होंगे कि रानिल विक्रमसिंघे को आखिर सभी दलों के समर्थन की आवश्यकता क्यों पड़ गई. आखिर किसके लिए वह सभी सियासी दलों से योगदान की अपील कर रहे हैं. यह अपील करने से पहले वह पीएम मोदी से भी मिल चुके हैं. आइए अब आपको बातते हैं कि आखिर पूरा मुद्दा है क्या…?

दरअसल श्रीलंका में तमिलों को अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल है. अभी उन्हें बहुत सारे अधिकार प्राप्त नहीं हैं. इसलिए श्रीलंका में लंबे समय से संविधान में संशोधन किए जाने की मांग उठ रही है. ताकि तमिलों को भी उनके अधिकार मिल सकें. साथ ही साथ सत्ता में भी उनकी भागीदारी हो सके. अभी तमिलों की सत्ता में कोई सहभागिता नहीं होती है. तमिलों और सिंघलियों के बीच भी मतभेद रहता है. इसलिए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बोला कि अल्पसंख्यक तमिलों के जातीय मेल-मिलाप के जटिल मामले पर आम सहमति बनाने के लिए सभी सियासी दलों को चर्चा में भाग लेना चाहिए, क्योंकि संविधान के 13वें संशोधन (13ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे राष्ट्र के लिए अहम है. विक्रमसिंघे इस मामले पर चर्चा करने के लिए आयोजित सर्वदलीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने हिंदुस्तान की यात्रा तथा पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा करने के बाद यह बैठक बुलायी. राष्ट्रपति द्वारा यह बैठक गवर्नमेंट के राष्ट्रीय सुलह कार्यक्रम और इसकी आगे की राह पर चर्चा के लिए बुलाई गई..

दिल्ली यात्रा से पहले, विक्रमसिंघे ने उत्तर और पूर्वी प्रांतों में अगुवाई करने वाली तमिल पार्टियों के साथ एक बैठक में सर्वदलीय सहमति के साथ श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन (13ए) को प्रांतों को पुलिस शक्ति दिए बिना पूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति जतायी थी. मुख्य तमिल पार्टी ‘टीएनए’ और मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने बैठक में हिस्सा लिया. कुछ दलों ने इस बैठक को विक्रमसिंघे की सियासी नौटंकी कहा था. राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने बोला कि 13(ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे राष्ट्र के लिए अहम है. इसलिए सभी सियासी दलों को वार्ता में भाग लेना चाहिए.

पीएम मोदी ने जताई 13 ए लागू होने की उम्मीद

सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के मुद्दे में ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीलंका का विपक्ष बंटा हुआ है. राष्ट्रीय सुलह पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए संसद में अगुवाई करने वाले सभी सियासी दलों और स्वतंत्र समूहों के नेताओं को निमंत्रण दिया गया, इनमें से कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि इस बैठक के एजेंडे के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है । पीएम मोदी ने नयी दिल्ली में विक्रमसिंघे के साथ वार्ता के दौरान आशा जताई थी कि श्रीलंकाई नेता 13ए को लागू करने और प्रांतीय परिषद चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध होंगे. उन्होंने तमिलों के लिए सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. यदि यह संशोधन लागू होता है तो तमिलों को उनके अधिकार मिल जाएंगे.

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