सऊदी अरब का महिलाओं को लेकर बड़ा फैसला, बदले हज के नियम
अधिकार मिला और साल 2018 में महिलाओं को पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया।
रियाद : सऊदी अरब लंबे समय से महिलाओं के अधिकारों को लेकर अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बदलने की कोशिश कर रहा है। महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस और वोट देने का अधिकार मिले बहुत समय नहीं बीता है। अब खाड़ी देश ने एक और ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब महिलाओं को 'मेहरम' या पुरुष साथी के बिना हज या उमराह करने की अनुमति होगी। सऊदी राजधानी रियाद ने सोमवार को इसकी घोषणा की और कहा कि यह दुनियाभर की श्रद्धालुओं पर लागू होगा। अब तक महिलाओं और बच्चों को 'मेहरम' के साथ ही हज पर जाने की अनुमति दी जाती थी। मेहरम वह पुरुष साथी होता है जो पूरे हज के दौरान महिला के साथ रहता है।
कुछ मामलों में 45 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम भी हज की अनुमति दी जा चुकी है। लेकिन सभी महिलाओं के लिए यह फैसला वाकई ऐतिहासिक है। सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्री तौफीक अल रबिया ने कहा, 'एक महिला अब बिना मेहरम के उमराह करने के लिए मुल्क में आ सकती है।' इस आदेश ने सऊदी अरब की दशकों पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया है। हालांकि तीर्थयात्रा में शामिल होने वाले महिलाओं के बड़े समूह के साथ हज या उमराह करने वाली महिलाओं को इसकी अनुमति पहले भी दी जा चुकी है।
हज और उमराह में अंतर?
सऊदी मौलवियों का कहना है कि हज या उमराह के दौरान महिलाओं के साथ एक मेहरम का होना जरूरी है। वहीं दूसरे मुस्लिम स्कॉलर इस पर अलग राय रखते हैं। साल में एक बार होने वाली हज यात्रा को इस्लाम का पांचवां स्तंभ माना जाता है। कहते हैं कि हर मुस्लिम को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए जबकि उमराह साल में कभी भी किया जा सकता है।
सऊदी अरब में कैसे बदली महिलाओं की तकदीर
सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और पर्यटकों को लुभाने के लिए महिलाओं की स्थिति में बदलाव कर रहा है। इसीलिए देश में महिलाओं को मूलभूत अधिकार मिले अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। 1955 में यहां लड़कियों के लिए पहला स्कूल खुला और 1970 में लड़कियों को पहली यूनिवर्सिटी मिली। 2001 में पहली बार महिलाओं को पहचान पत्र दिया गया। साल 2005 में जबरन शादी जैसी कुप्रथा का अंत हुआ। 2015 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला और साल 2018 में महिलाओं को पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया।