भारत के दौरे पर आए जर्मनी के मंत्री रॉबर्ट हेक (Robert Haeck) ने पूरे विश्व के लोकतांत्रिक राष्ट्रों से रूसी आक्रामकता की निंदा करने पर अपनी सियासी स्थिति साफ करने का आग्रह करते हुए गुरुवार को बोला कि उन्हें रूस को अधिक श्रेय और धन देने के लिए प्रतिबंध प्रणाली का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. उन्होंने बोला कि इससे यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को बढ़ावा मिलेगा.
जर्मन वाइस चांसलर और आर्थिक मामलों एवं जलवायु कार्रवाई मंत्री रॉबर्ट हेबेक भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. उन्होंने सात राष्ट्रों के समूह (जी-7) और उनके सहयोगियों द्वारा समुद्री रास्ते से आने वाले रूसी कच्चे ऑयल पर मूल्य सीमा लगाने की पृष्ठभूमि में यह बात कही.
आज सुबह नयी दिल्ली में इंडो-जर्मन बिजनेस फोरम (Indo-German Business Forum) से इतर पत्रकारों से बात करते हुए जर्मन मंत्री ने कहा, “यह जाहिर है कि यूरोपीय पक्ष यूक्रेन पर रूसी आक्रामकता को अभूतपूर्व मानता है. इसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी यूरोपीय शांति प्रबंध को नष्ट कर दिया है. यह एक ऐसी घटना है जिसने यूरोप में सब कुछ बदल दिया है. मैं जानता हूं कि बेशक यूरोप एशिया से थोड़ा दूर है. फिर भी, दूसरी ओर यह इतना जरूरी है कि मैं पूरे विश्व के सभी लोकतंत्रों से अपनी भाषा और सियासी स्थिति में साफ करने का आग्रह करता हूं कि यह स्वीकार्य नहीं है.”
हेबेक ने कहा, यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. हमने इसके खिलाफ प्रतिबंधों और यूक्रेन के लिए सेना समर्थन के साथ उत्तर दिया. प्रतिबंध प्रणाली का मतलब है कि हमने ऑयल के व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन इस पर मूल्य की एक सीमा है. इसका मतलब है कि आपको कच्चा ऑयल खरीदने की अनुमति है… ठीक है. यह प्रतिबंध प्रणाली के भीतर है. लेकिन इससे पैसा कमाना, रूस में और अधिक पैसा लाना, इससे फायदा उठाने के लिए इस प्रतिबंध प्रणाली का इस्तेमाल करना, इसका विचार नहीं है.
मूल्य सीमा (Price Cap) पांच दिसंबर, 2022 को जी-7 राष्ट्रों और उनके सहयोगियों द्वारा लगाई गई थी. सात राष्ट्रों के समूह ने रूसी समुद्री कच्चे ऑयल की मूल्य 60 $ प्रति बैरल तय करने पर सहमति व्यक्त की थी. इस मूल्य सीमा के माध्यम से उन्होंने रूस के राजस्व को सीमित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे ऑयल की आपूर्ति बनी रहे.
रूसी दूत अलीपोव ने दिया यह जवाब
इस बीच हिंदुस्तान में रूसी दूत डेनिस अलीपोव ने बोला कि जर्मन मंत्री भारत-जर्मनी संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बेहतर कोशिश करेंगे. अलीपोव ने ट्वीट किया, कुछ रिपोर्टों में बोला गया है कि जर्मन वाइस चांसलर रॉबर्ट हैबेक की हिंदुस्तान यात्रा का एक लक्ष्य रूस-भारत योगदान पर चर्चा करना है. बेहतर होगा कि वह भारत-जर्मनी संबंधों पर ध्यान केंद्रित करें, इसके बजाय जैसा कि उन्होंने सोच रखा है. रूसी दूत ने ट्वीट किया, दुर्भाग्य से जर्मनी ने यूरोप में सुरक्षा मुद्दों पर स्वतंत्र स्थिति छोड़ दी है, जिससे यूक्रेनी संघर्ष में उसकी आवाज़ अप्रासंगिक हो गई है.
जर्मन दूतावास ने पहले बोला था, अपने प्रवास के दौरान वाइस चांसलर हेबेक के हिंदुस्तान के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ-साथ विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ हाई लेवल बैठकें करने की आशा है. हेबेक दिल्ली और मुंबई में कई भारत-जर्मन संयुक्त उद्यमों का दौरा करेंगे. अपनी यात्रा के आखिरी चरण में हेबेक गोवा में जी-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.