पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई पर नई बात सामने आई, भारत को बड़ा खतरा
मुख्तार को बैंक की तरफ से जब एडवरटाइजमेंट देने से मना कर दिया गया तो वह काफी नाराज हो गया।
इस्लामाबाद: पिछले कुछ समय से जम्मू कश्मीर घाटी में लोगों की सोच बदल रही है। यहां तिरंगा फहराया जा रहा है और हजारों लोग राजनीतिक रैलियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई को यही बात चुभ रही है। इन सभी सकारात्मक घटनाक्रमों पर लगाम लगाने के लिए आईएसआई ने नई तरकीब निकाली है। भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी की तरफ से इस पर एक बड़ा खुलासा किया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट ने एजेंसियों के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की तरफ से पिछले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर में स्थित जर्नलिस्ट्स के बीच खौफ पैदा करने का काम किया है। कम से कम 20 मीडियाकर्मी तो अपनी जान तक गंवा चुके हैं। इंटेलीजेंस एजेंसी की मानें तो यह टीआरएफ की नई रणनीति है।
आईएसआई के मिशन पर तुर्की
जर्नलिस्ट्स के नाम कई धमकी भरे खत लिखे जा रहे हैं और मीडिया हाउसेज को कश्मीर की असलियत न बताने के लिए धमकाया जा रहा है। इंटेलीजेंस एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि तुर्की, भारत विरोधी ऐसे जर्नलिस्ट्स और नागरिकों को शरण देने में लगा है जो घाटी के युवाओं को ब्लॉग के जरिए बरगला सकते हैं। आईएसआई के कहने पर तुर्की अब भारत विरोधी काम करने में जुट गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की ख्वाहिश है कि वह मुस्लिम देशों का खलीफा बनें। अपनी इस राजनीतिक मंशा को पूरा करने के लिए वह पाकिस्तान समेत कई मुसलमान देशों से करीबियां बढ़ाने में लगे हैं। साथ ही अपने इस मकसद में उन्हें ऐसे आतंकियों को का साथ मिलने लगा है जो तनाव पैदा कर रहे हैं और कई तरह के न्यूज पोर्टल्स को चला रहे हैं।
पाकिस्तान पहुंचा आतंकी
पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहा एक ब्लॉग कश्मीर में स्थित जर्नलिस्ट्स और एक्टिविस्ट्स के खिलाफ कैंपेन चला रहा है। जब एजेंसियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि इस ब्लॉग को कश्मीर के पूर्व नागरिक मुख्तार बाबा चलाता है। मुख्तार बाबा अब एक आतंकी है और कभी वह एक रिसेप्शनिस्ट हुआ करता था। कुछ समय तक उसने एक पब्लिक रिलेशन एजेंसी, 'कश्मीर मीडिया पीआर और कश्मीर इवेंट्स' भी शुरू की थी। एजेंसी कुछ ज्यादा चल नहीं सकी और मुख्तार ने दूसरा रास्ता अपना लिया। मुख्तार ने एक और जर्नलिस्ट के साथ मिलकर न्यूज पोर्टल की शुरुआत की। इस न्यूज पोर्टल के जरिए मुख्तार बाबा ने सबसे पहले जेएंडके बैंक के खिलाफ एक कैंपेन चलाया। मुख्तार को बैंक की तरफ से जब एडवरटाइजमेंट देने से मना कर दिया गया तो वह काफी नाराज हो गया।