कंबोडिया के लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हुन सेन की सत्तारूढ़ पार्टी ने रविवार को हुए आम चुनाव में भारी जीत का दावा किया। मतदान समाप्त होने के छह घंटे बाद, राष्ट्रीय चुनाव समिति ने कहा कि 84.6 प्रतिशत पात्र मतदाताओं ने मतदान किया है। हुन सेन की कम्बोडियन पीपुल्स पार्टी के प्रवक्ता सोक एयसन ने कहा कि उनका मानना है कि उनकी पार्टी ने कुल मतदान के 78-80 प्रतिशत मत हासिल किये हैं। उन्होंने बताया, ‘‘सीटों की संख्या के बारे में अभी तक मेरे पास कोई जानकारी नहीं है, लेकिन मैं कह सकता हूं कि सत्तारूढ़ ‘कंबोडियन पीपुल्स पार्टी’ ने भारी जीत हासिल की है।’’
लंबे समय से कंबोडिया के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुन सेन ने रविवार सुबह सात बजे मतदान शुरू होने के 10 मिनट बाद अपना वोट डाला था। चुनाव में यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य पश्चिम देशों ने यह कह कर अपने पर्यवेक्षकों को भेजने से इनकार कर दिया था कि निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं किया गया है। रूस, चीन और गिनी-बिसाऊ ने अपने पर्यवेक्षकों को कंबोडिया भेजा है। हुन सेन ने देश की राजधानी नोम पेन्ह के बाहरी इलाके में स्थित अपने गृह जिले में मतदान केंद्र पर मतदान किया। इस दौरान उन्होंने मतदान केंद्र के बाहर अपने समर्थकों से हाथ मिलाया और ‘सेल्फी’ भी ली।
एशिया के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता हुन सेन (70) की मजबूत रणनीति के कारण पिछले 38 साल में उनकी ताकत लगातार बढ़ी है, लेकिन उन्होंने इस बार चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद अपने सबसे बड़े बेटे हुन मानेट को सौंपने की घोषणा की है। हुन मानेट (40) ने वेस्ट प्वाइंट स्थित ‘यूएस मिलिट्री अकेडमी’ से स्नातक, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर और ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। वह इस समय कंबोडिया के सेना प्रमुख हैं। मानेट के पश्चिमी देशों में शिक्षा हासिल करने के बावजूद विश्लेषकों को ऐसा नहीं लगता कि उनके सत्ता संभालने पर कंबोडिया सरकार की नीति में तत्काल कोई बदलाव आएगा। उनके पिता की नीतियों के कारण कंबोडिया की हाल के वर्षों में चीन के साथ नजदीकियां बढ़ी हैं।