भूटान में दिखे चीन के चीन गांव, सैटेलाइट नक्शे से खुलासा
भारतीय मुद्रा में यह राशि करीब साढ़े तीन लाख के आसपास है।
बीजिंग : भारत और चीन के बीच साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद पैदा हुआ तनाव अभी तक जारी है। क्षेत्र में अपने दावे को मजबूत करने के लिए चीन भूटान में अतिक्रमण को बढ़ा रहा है। एक सैटेलाइट नक्शे में भूटान के क्षेत्र में चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की कब्जे वाले इलाकों और बसाए गए गांवों को देखा जा सकता है। तस्वीर में देखा जा सकता है कि कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चीन ने भूटान तक सड़कों का जाल बिछाया है। इन सड़कों का इस्तेमाल चीन की सेना भी कर सकती है जो चीन के अन्य इलाकों से जुड़ी हैं। इन ऑल वेदर रोड का इस्तेमाल हर मौसम में किया जा सकता है।
सैटेलाइट फोटो का विश्लेषण करने वाले डेमियन साइमन ने अपडेटेड नक्शा ट्विटर पर शेयर किया है। इसमें भूटान में चीन के गांवों और निर्माण कार्यों को दर्शाया गया है। नक्शे में भूटान में चीन के कब्जे वाले इलाकों को भी देखा जा सकता है। रेड पॉइंट से दर्शाए गए चीनी कब्जे वाले कुछ इलाके भारतीय सीमा से सटे हुए हैं जो भारत के लिए चिंता का कारण हो सकता है। ये सभी इलाके चीन के रोड नेटवर्क से जुड़े हुए हैं जो भारत-भूटान सीमा के बेहद पास से गुजरता है।
भारतीय के लिए क्यों चिंता का कारण?
भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। नक्शे में चीन की तोपों की स्थिति को भी रेखांकित किया गया है। देखा जा सकता है कि 2019 में चीन की तोपें भारतीय सीमा से काफी दूर थीं लेकिन 2020 में ये खिसककर थोड़ा आगे आ गईं। चीन के इलाके में पीएलए के कई मिलिट्री कैंप भी नजर आ रहे हैं। इनमें से कुछ कैंप भारतीय सीमा से सटाकर बनाए गए हैं। हालांकि भारतीय सेना भी चीन के साथ सीमा पर अपनी मजबूत तैनाती को लगातार बनाए हुए है।
भूटान के गांवों में लोगों को बसा रहा चीन
कुछ महीनों पहले द टेलीग्राफ अखबार की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भूटान में चीन के गांव सुदूर इलाकों में बसाए गए हैं। यह नक्शा इसकी पुष्टि करता है जिसमें पीले पॉइंट से रेखांकित तीन गांवों को देखा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, इन गांवों में मौसम लोगों के रहने के लिए अनुकूल नहीं है। इसका फायदा उठाकर चीन लोगों को सड़क, बिजली, पानी और कम्यूनिकेशन नेटवर्क का लालच दे रहा है। कहा तो यह भी गया था कि इन गांवों में रहने के लिए लोगों को प्रति वर्ष 30,000 युआन का भुगतान किया जा रहा है। भारतीय मुद्रा में यह राशि करीब साढ़े तीन लाख के आसपास है।