सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले इदलिब शहर में ठंड के कारण छोटे बच्चों की मौत ने वहां रहने वाले लोगों को हिला कर रख दिया है. गंभीर ठंड के कारण विस्थापितों के लिए बने शिविरों में सात दिन के एक बच्चे सहित दो अन्य बच्चों की रात भर में मौत हो गई. इदलिब में सीरिया के युद्ध से बचकर भागे लाखों सीरियाई रहते हैं. इनका जीवन पहले से ही जंग के बीच पिस रहा था और अब ठंड से लोगों की जान पर बन आई है.
बच्चों के लिए काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था सेव द चिल्ड्रेन (Save The Children) ने बच्चों की मौत की घटना को दुखद बताया है और कहा है कि इन मौतों को रोका जा सकता था. मोहम्मद अल-हसन की सात दिन की बेटी फातिमा ने ठंड के कारण दम तोड़ दिया. उन्होंने अलजजीरा को बताया, 'जब मैंने उसे छुआ तो वो बर्फ की तरह ठंडी थी. हमने सर्दियों के लिए थोड़ी तैयारी की थी लेकिन हमें वो सबकुछ नहीं मिला जो चाहिए था. हमारे पास काम नहीं है जिससे हमारे पास पैसे भी नहीं हैं.' मोहम्मद अपनी बेटी को इदलिब के अल-रहमान अस्पताल ले गए थे लेकिन उनकी बेटी को तब तक बहुत ठंड लग चुकी थी और उसे बचाया नहीं जा सका. मोहम्मद का परिवार सात साल पहले दक्षिणी अलेप्पो शहर से विस्थापित होकर इदलिब आया है और टेंट में जीवन गुजार रहा है.
अल-रहमान अस्पताल के डॉक्टर फदी हलाक ने कहा कि फातिमा को जब अस्पताल लाया गया तो वो नीली पड़ चुकी थी. उसके नाक और मुंह से खून बह रहा था. उन्होंने कहा, 'एक हफ्ते पहले ही वो बिल्कुल नॉर्मल तरीके से पैदा हुई थी. लेकिन, दुर्भाग्य से इस समय जो कड़ाके की ठंड पड़ रही है, इस कारण उसकी मृत्यु हो गई.' पिछले दो हफ्तों में कड़ाके की ठंड ने उत्तर-पश्चिम सीरिया में तबाही मचा दी है. इस इलाके में सीरिया की बशर अल-असद सरकार की सेना से भागने वाले 40 लाख से अधिक विस्थापित सीरियाई, जिन्हें IDP कहा जाता है, रहते हैं. इनमें से लगभग 17 लाख लोग टेंट वाली बस्तियों में रहते हैं. एन्क्लेव युद्धग्रस्त देश में विद्रोहियों का आखिरी गढ़ माना जाता है.
उत्तरी इदलिब में अल-जबल विस्थापन शिविर में अपने परिवार के साथ रहने वाली दो महीने की अमीना सलामेह ने भी मंगलवार सुबह दम तोड़ दिया. अस्पताल पहुंचने तक उसकी नब्ज चल रही थी, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके. डॉ हलाक ने बताया, 'वो नीली पड़ चुकी थी और उसकी नाड़ी बिल्कुल धीरे चल रही थी. हमने उसे गर्म रखने और उसे पोषण देने की पूरी कोशिश की लेकिन वो बच नहीं सकी.'