आर्मी जनरल उप रक्षा मंत्री दमित्री बुलगाकोव को ड्यूटी से हटाया

उन्‍हें कहा जा रहा है या तो वो वोट करें या फिर नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

Update: 2022-09-25 05:41 GMT

मॉस्‍को: यूक्रेन के साथ जंग में मिलती हार के बीच ही रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अपने उप-रक्षा मंत्री को हटा दिया है। रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से इस बारे में जानकारी दी है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि आर्मी जनरल दमित्री बुलगाकोव को उनकी ड्यूटी से हटा दिया गया है। पुतिन ने जनरल बुलगाकोव की जगह जिसे चुना है, उसे एक क्रूर जनरल के तौर पर देखा जाता है। यहां तक कि लोग उसे 'मारियुपोल का कसाई' तक कहते हैं। जनरल दमित्री के युद्ध में लॉजिस्टिक्‍स के जिम्‍मदार थे और यही वह क्षेत्र है जहां पर रूस को युद्ध में सबसे ज्‍यादा शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है।


पूर्व डिप्‍टी को मिली सजा
जनरल दमित्री बुलगाकोव की जगह अब 60 साल के कर्नल जनरल मिखाइल मिजिनत्‍सेव ने ली है। बीबीसी की मानें तो पुतिन को दमित्री को हटाने का फैसला उन्‍हें दी गई सजा के तौर पर देखा जा रहा है। नए उप रक्षा प्रमुख मिखाइल पर यूके की तरफ से प्रतिबंध लगे हुए हैं। इस साल मई में जब रूस की सेना ने यूक्रेन के बंदरगाह मारियुपोल पर कब्‍जा किया तो उसके बाद ही जनरल मिखाइल को 'मारियुपोल का कसाई' कहा जाने लगा था। इसके अलावा उन पर आरोप है कि उन्‍होंने सीरिया के अलेप्‍पो में हुई बमबारी में रूस का नेतृत्‍व किया था।

मारियुपोल में दरिंदगी
मारियुपोल में कब्‍जे के दौरान रूस की सेना पर आरोप है कि उसने यहां पर कई लोगों को बेदर्दी से मारा और कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। यहां पर करीब 200 लोगों क लाशें मिली थीं। जबकि यूक्रेन का कहना है कि वास्‍तविक संख्‍या इससे कहीं ज्‍यादा हो सकती है। पिछले दिनों राष्‍ट्रपति पुतिन ने ऐलान किया था कि करीब तीन लाख सैनिकों को यूक्रेन में तैनाती के लिए भेजा जाएगा। द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद से यह पहली बार है जब रूस की तरफ से इतने सैनिकों की तैनाती की जाएगी।

रिहा हुए यूक्रेनी कमांडर
दो दिन पहले ही रूस ने उन 215 लोगों को रिहा कर दिया है जिन्‍हें मारियुपोल में बंदी बनाया गया था जिनमें कई टॉप यूक्रेनी मिलिट्री लीडर्स भी शामिल हैं। रूस ने अजोव में पकड़े यूक्रेनी कमांडर और डिप्‍टी कमांडर को भी छोड़ दिया है। रूस के इस कदम को चौंकाने वाला बताया जा रहा है। अजोव में पकड़े गए इन दोनों मिलिट्री लीडर्स को रूस नाजी के तौर पर बताता है और ऐसे में इनका रिहा होना हैरानी वाला फैसला बताया जा रहा है।

मारियुपोल में इन दिनों रूस की तरफ से एक जनमत संग्रह भी कराया जा रहा है। इस जनमत संग्रह के लिए लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्‍हें कहा जा रहा है या तो वो वोट करें या फिर नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

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