जसम ने कवि मलय और शायर मुनव्वर राना को याद किया

लखनऊ : जन संस्कृति मंच लखनऊ की मासिक बैठक सईदा सायरा के जगत नारायण रोड स्थित उनके आवास पर हुई। इसकी अध्यक्षता असगर मेहदी ने की तथा संचालन किया फरजाना महदी ने। बैठक की शुरुआत में हिंदी के वरिष्ठ कवि मलय और उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि …

Update: 2024-01-23 05:46 GMT

लखनऊ : जन संस्कृति मंच लखनऊ की मासिक बैठक सईदा सायरा के जगत नारायण रोड स्थित उनके आवास पर हुई। इसकी अध्यक्षता असगर मेहदी ने की तथा संचालन किया फरजाना महदी ने। बैठक की शुरुआत में हिंदी के वरिष्ठ कवि मलय और उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। ज्ञात हो कि दोनों का निधन हाल में हुआ।

कौशल किशोर ने मलय जी के जीवन और रचनाकर्म को याद करते हुए कहा कि उन्होंने विपुल साहित्य की रचना की। कविता मुख्य क्षेत्र था लेकिन उन्होंने गद्य लेखन भी किया। पत्रकारिता से उनकी शुरुआत हुई थी और बाद में वह अध्यापक हुए। उनके 13 कविता संग्रह हैं। वह मुक्तिबोध और हरिशंकर परसाई के साथ रहे लेकिन उनके सृजन की अपनी भूमि रही है। उनका जुड़ाव प्रगतिशील लेखक संघ से था। उसकी पत्रिका 'वसुधा' से भी वे जुड़े रहे। परसाई जी की रचनावली के संपादक मंडल में भी शामिल थे। उनकी रचनाओं का फलक काफी बड़ा है। दुखी और शोषित जन के साथ जुड़ाव ने उन्हें प्रतिबद्ध लेखक बनाया। इस मौके पर कौशल किशोर ने उनकी कविता 'मैं इतनी जल्दी कैसे छोड़ दूं यह दुनिया' का पाठ भी किया जिसमें जीवन के प्रति गहरी प्रत्याशा का भाव है।

असग़र मेहदी ने उर्दू के लोकप्रिय शायर मुनव्वर राना को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उर्दू के साथ बंगला और गुरुमुखी में लिखी गयी उनकी रचनायें काफ़ी पसंद की जाती रही हैं। उनकी साहित्यिक सेवाओं पर रौशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि उनके देहांत से साहित्य जगत को अपूर्णिय क्षति पहुँची है। इसके बाद असग़र मेहदी ने उनकी एक ग़ज़ल से शे’र सुनाए - 'बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना/आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना।'
'एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है/तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना/सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए /वर्ना आसान था मेरे लिए बे-घर होना'।

बैठक में सईदा सायरा ने अपनी नज़्म सुनाई जिसे काफी पसंद किया गया। इसमें वह कहती हैं 'अगर आप बारिश में भीगते नहीं हैं/अगर आप अच्छी गजलें नहीं सुनते हैं /अगर आप खुलकर नहीं हंसते हैं/अगर आपके दिल को तितलियां नहीं भाती हैं /अगर आपको शेरो शायरी नहीं पसंद है /….तो हम मिल तो सकते हैं /पर अच्छे दोस्त नहीं बन सकते हैं'। इस अवसर पर तस्वीर नकवी, विमल किशोर, नगीना निशा, राकेश सैनी और अरविंद शर्मा उपस्थित थे।

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