NASA के आर्टिमिस अभियान से अंतरिक्ष अन्वेषण में क्या हासिल करेंगे हम! जाने

नासा का आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission of NASA) साल 2025 तक दो इंसानों को चंद्रमा पर लंबे समयके लिए पहुंचाने के लिए नियोजित किया गया है. इसके पहले चरण में 29 अगस्त को नासा के नए स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और उसके साथ ओरियॉन क्रू कैप्सूल का परीक्षण होगा.

Update: 2022-08-29 04:05 GMT

नासा का आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission of NASA) साल 2025 तक दो इंसानों को चंद्रमा पर लंबे समयके लिए पहुंचाने के लिए नियोजित किया गया है. इसके पहले चरण में 29 अगस्त को नासा के नए स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट और उसके साथ ओरियॉन क्रू कैप्सूल का परीक्षण होगा. इससे पहले साल 1972 में आखिरी बार मानव अभियान चंद्रमा पर भेजा गया था. लेकिन इस बार का अभियान काफी अलग है और उससे कई तरह की उम्मीदें और नए प्रयोग, अनुसंधान और योजनाएं जुड़ी हुई हैं. इसमें चंद्र पर जाने की क्षमता (Capacity to go to Moon) को फिर से हासिल करने के साथ ही लंबे अंतरिक्ष अभियानों (Long Space Missions) की तैयारियां करने के इरादे भी शामिल हैं.

चांद पर इंसान भेजने की क्षमता

मैक्डॉनेल् सेंटर फॉर द स्पेस साइंसेस के निदेशक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंसेस इन आर्ट एंड साइंसेस के प्रोफेस ब्रैडली एल जोलिफ ने फिसडॉटओआरजी को बताया कि आर्टिमिस-1 के सफल प्रक्षेपण से नासा और अमेरिका चंद्रमा पर इंसान भेजने की क्षमता को फिर से हासिल कर लेगा. यह क्षमता 50 साल पहले खत्म हो गई थी जब अपोलो 17वें अभियान के बाद सैटर्न V रॉकेट को रिटायर कर दिया गया था.

चंद्रमा से विश्वसनीय वापसी?

जोलिफ का कहना है कि आर्टिमिस 1 अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर दूसरे और हमारे संसार को अन्वेषण करने का रास्ता देगा. आर्टिमिस मानव के अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक बहुत बड़े कदम को प्रदर्शित करेगा जिसकी शुरुआत चंद्रमा से विश्वसनीय वापसी से होगी. इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि यहां विश्सनीय का मतलब यह है कि आर्टिमिस अभियान अपोलो अभियानों की तरह छोटे अभियान नहीं होंगे.

लंबी उपस्थिति की कवायद

जोलिफ के मुताबिक अपोलो अभियान एक स्थान विशेष के लिए छोटे सी यात्राएं थीं जहां से नमूने जमा कर लाए गए थे. लेकिन इस बार गहरे अंतरिक्ष और पृथ्वी की कक्षा के आगे कैसे रहा और काम किया जा सकता है इसकी पड़ताल की जाएगी. जैसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री कई सालों से रह रहे हैं.

कई कठिन चुनौतियां

यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए चंद्रयात्रियों को कई तरह के चुनौतियों का सामना करना होगा जिसमें गहरे अंतरिक्ष के विकिरण, चंद्रमा की धूल, चरम तापमान और अन्य समस्याएं शामिल होंगी. चंद्रयात्री पृथ्वी से इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की सहायता से चंद्रमा के संसाधनों का उपयोग करना भी सीखेंगे.

संसाधनों का उत्खनन

इसमें चंद्रमा पर वहां की मिट्टी और खास तौर से वहां के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद बर्फ से ऑक्सीजन और पानी का उत्पादन करने का प्रयास किया जाएगा. इस तरह से चंद्रमा पर उत्खनन की संभावनों को भी खंगाला जाएगा. इतना ही नहीं इस काम में अमेरिका के अलावा कई दूसरे देशों की भी रुचि है और वे भी अपने अभियानों को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी में लगे हैं.

मंगल ग्रह और अन्य अभियानों के लिए भी

यह उपस्थिति मानव अन्वेषण के अन्य लक्ष्यों जैसे मंगल ग्रह के लिए भी एक अहम कदम साबित होगी. चंद्रमा पर उत्खनन से हासिल की गई हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को ईंधन और जीवन समर्थक संसाधन के तौर पर अन्य दूसरे ठिकानों के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है. इस लिहाज से चंद्रमा आगे के वैज्ञानिक अन्वेषण कार्यक्रमों के लिए एक बहुमूल्य स्थान हो सकता है जो कि आर्टिमिस अभियान के उद्देश्यों में शामिल है.


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