अब चंद्रमा की उन जगहों को देखा जा सकेगा जो अंधेरे में रहती हैं हमेशा
कई लोगों का मानना है कि चंद्रमा (Moon) का एक काला हिस्सा है जो अंधेरे में रहता है. लेकिन ऐसा नहीं है. पूरे चंद्रमा पर सूर्य की किरणें अपने हिस्से के दिन के समय पड़ती हैं और अच्छा खासा विकिरण वहां पहुंचता है.
कई लोगों का मानना है कि चंद्रमा (Moon) का एक काला हिस्सा है जो अंधेरे में रहता है. लेकिन ऐसा नहीं है. पूरे चंद्रमा पर सूर्य की किरणें अपने हिस्से के दिन के समय पड़ती हैं और अच्छा खासा विकिरण वहां पहुंचता है. लेकिन फिर भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां सूर्य की किरणें चंद्रमा के उन हिस्सों पर कभी नहीं पहुंच पाती हैं (Dark places of Moon). ये ऐसे गहरे क्रेटर हैं जो चंद्रमा के उच्च अक्षांश में स्थित हैं, चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों (Polar Regions) में हैं जहां क्रेटर की निचली सतह तक सौर विकिरण नहीं पहुंच पाता है. नए अध्ययन में इन इलाकों को देखने का तरीका निकाला गया है जिसमें वैज्ञानिकों ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की सहायता ली है.
2024 में मिलेगी जानकारी
चंद्रमा के रहस्यमयी गड्ढे बहुत ठंडे होते हैं और इनका तापमान 163 डिग्री सेल्सियस तक होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां बर्फ और कई रोचक पदार्थों की भी मौजूदगी हो सकती है. साल 2024 में नासा का मानव अभियान जब चंद्रमा पर पहुंचेगा तब इन इलाकों के बारे में सही जानकारी मिलने की उम्मीद है.
पहले भी जाना जा सकता है
लेकिन वैज्ञानिकों ने इससे पहले ही ऐसा इलाकों के बारे में जानने की व्यवस्था कर ली है. वे इन इलाकों को प्रकाशमान करेंगे और फिर इनमें देख कर जानने की कोशिश कर सकेंगे कि उनमें आखिर क्या है. इस अध्ययन के नतीजों से नासा के वैज्ञानिकों को यह तयकरने में मदद मिल सकती है कि चंद्रमा की चुनी हुए 13 जगहों में से आर्टिमिस यात्रियों को कहां उतारा जाना बेहतर होगा.
पहुंचता है थोड़ा बहुत प्रकाश
इसके अलावा इससे वे स्थाई रूप से ठंडी और अंधेरे वाले क्षेत्रों को भी समझा जा सकता है दो अभी तक चंद्रमा के सबसे रहस्यमयी इलाके माने जाते हैं. इन्हें देखना एक असंभव कार्य जरूर माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है कि ये इलाके पूरी तरह से ही प्रकाशविहीन ही रहते हैं. कुछ प्रकाश आसपास के पहाड़ों से प्रतिबिम्बित होकर इनके अंदर जरूर पहुंचता है.