कॉस्मिक माइक्रोवेब बैकग्राउंड ब्रह्माण्ड की शुरुआत के बाद ही निकला प्रकाश
ब्रह्माण्ड और उसके इतिहास (History of Universe) को समझने के लिए वैज्ञानिक कई तरह की पड़तालों और तकनीकों का उपयोग करते हैं. इसमें उन्नत किस्म के टेलीस्कोप के आंकड़े बहुत महत्व के होते हैं. यानि अंतरिक्ष में दूर से आने वाले तरंगें ही खगोलविदों का सहारा हैं. अलग-अलग तरह की तरंगों के लिए अलग-अलग प्रकार के टेलीस्कोपों का उपयोग होता है. ब्रह्माण्ड के इतिहास के सिलसिले में एक नाम अक्सर उपयोग में लाया जाता है जिसे कॉस्मिक माइक्रोवेब बैकग्राउंड (Cosmic Microwave Background, CMB) या सीएमबी कहा जाता है. आइए जानते कि यह क्या है और इसके बारे में क्या कहता है विज्ञान (What does Science Say).
बिग बैंग के बाद
खगोलीय पार्श्व सूक्ष्म तरंगें को एक तरह का प्रकाश कह सकते हैं जो वास्तव में एक तरह का विकिरण हैं. इसलिए अक्सर सीएमबी की जगह सीएमबी विकिरण का जिक्र होता है यानि खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण का जिक्र होता है. इसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ब्रह्माण्ड में देखा जा सकने वाला सबसे पुराना और सबसे दूर का प्रकाश होता है. माना जाता है कि यह बिग बैंग की घटना के बाद आया था जिसे अभी ब्रह्माण्ड की शुरुआत माना जाता है.
अलग तरह का प्रकाश या तरंगे
लेकिन ब्रह्माण्ड पूरी तरह से उस प्रकाश से नहीं बना है जिसे हम आप अपनी आंखों से देख पाते हैं. इस तरह के प्रकाश की तरंगों को दिखाई देने वाला प्रकाश कहा जाता है. वास्तव में दिखाई देने वाला प्रकाश विद्युतचुंबकीय तरंगों का हिस्सा होता है अन्य तरह की तरंगें भी होती हैं जैसे एक्स से और माइक्रोवेव या सूक्ष्मतरंगें. एक्स रे का उपयोग हमें अपने शरीर की टूटी हुई हड्डियों के बारे में जानने के लिए करते हैं. जबकि रेडियो तरंगे हमें रेडियो पर संगीत सुनने में सहायता करती हैं.
समय के साथ ऊर्जा खोने वाला प्रकाश
शरुआत में सीएमबी विकिरण बहुत ही ऊर्जावान एक्सरे प्रकाश था. समय के साथ इसने अपने ऊर्जा गंवाई और वह कम ऊर्जा वाली सूक्ष्मतरंगों में बदल गया. इस तरह सीएमबी ब्रह्माण्ड की शुरुआत का प्रकाश कहा जा सकता है. उस समय ब्रह्माण्ड बहुत ही घना और गर्म था जिसमें इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन जैसे कणों की भरमार थी. इन कणों में आवेश होता है जब प्रकाश इन आवेशित कणों तक पहुंचता है, इससे प्रकाश दूसरी दिशा में चला जाता है और इससे प्रकाश बहुत ज्यादा दूर नहीं जा पाता है.
फिर ठंडा होता हुआ ब्रह्माण्ड
समय के साथ ब्रह्माण्ड विस्तारित होने के साथ ठंडा भी हुआ और एक बार पर्याप्त रूप से ठंडा हुआ इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन एक दूसरे से बंधने लगे और उन्होंने हाइड्रोजन परमाणु का निर्माण किया. इन परमाणुओं का कोई आवेश नहीं था, इसलिए ये प्रकाश से भी प्रभावित नहीं होते थे. प्रकाश इन अणुओं औरपरमाणुओं से होकर गुजरने लगा जैसे कि ब्रह्माण्ड पूरी तरह से ही खाली रहा हो. ब्रह्माण्ड एक ही दर से ठंडा हुआ इसलिए यह प्रक्रिया सभी जगह एक ही समय पर हुई.
पृथ्वी पर उस समय की केवल सीएमबी
इस तरह से अचानक प्रकाश एक ही समय में सुदूर तक यात्रा करने में सक्षम हो गया. यह प्रकाश या विद्युतचुंबकीय तरंगे आज भी ब्रह्माण्ड में यात्रा कर रही हैं और जो ये प्रकाश पृथ्वी पर पहुंच रहा है वह सीएमबी के रूप में ही पहुंच रहा है. इन तरंगों की खास बात यही होती है कि ये तभी तक सफर करती हैं जब कि वे किसी परमाणु से ना टकरा जाएं.
बिग बैंग का प्रमाण
वास्तव में हम जानते हैं कि ये बिग बैंग बनने के 3.8 लाख साल बाद निकली थीं जब पहला परमाणु बना था. यह बहुत बड़ा समय लगता है, लेकिन खुद ब्रह्माण्ड को बने करीब 14 अरब साल का समय हो चुका है और सीएमबी के समय ब्रह्माण्ड बहुत ही युवा था. बिगबैंग के समय ब्रह्माण्ड बहुत ही गर्म और विकिरण से भरा हुआ था, लेकिन इसके विस्तारित और ठंडा होने पर ही यह विकिरण एक साथ बाहर फैलने की स्थिति में आया. इसी को हम सीएमबी के रूप में देखते हैं. इसी लिए हम कहते हैं कि सीएमबी इस बात का प्रमाण है कि बिगबैंग की घटना घटी थी.
वास्तव में सीएमबी की खोज संयोगवश हुई थी. अमेरिका के दो वैज्ञानिक रॉबर्ट विल्सन और एर्नो पेन्जियास माइक्रोवेव टेलीस्कोप का उपयोग कर रहे थे और वे जहां भी अपने एंटीना घुमाते, उन्हें बार बार एक ही तरह के संकेत मिल रहे थे, पहले उन्हें लगा कि उनके टेलीस्कोप या एंटीना में कुछ गड़बड़ है, लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि वे पहले ऐसे लोग हैं जिन्होंने सीएमबी देखा है जो कि बिगबैंग सिद्धांत के मुताबिक अस्तित्व में होना चाहिए. इस खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला.