शेषनाग पर क्यों आराम करते हैं नारायण, जानें क्यों कहते हैं इन्हें श्री हरि
भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के नाम से भी जाना जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Lord Vishnu: हिंदू धर्म में हर देवी-देवता के चित्र अलग-अलग तरह से बने हैं. कुछ देवता अपने वाहन के ऊपर बैठे दिखाई देते हैं, तो कुछ अन्य मुद्रा में दिखते हैं. जिसके पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा छिपी होते हैं. ऐसे में भगवान विष्णु के चित्र में उन्हें क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर लेटा दिखाया गया है. इस चित्र में विष्णु भगवान बहुत ही शांत मुद्रा में आराम कर रहे हैं. बता दें कि उन्हें जगत पिता के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के नाम से भी जाना जाता है.
भगवान विष्णु की ऐसी तस्वीर देखकर सभी के मन में ये ख्याल आता है कि सृष्टि के पालहार होने की जिम्मेदारी होने के बावजूद वे कालरूप नाम पर इतनी शांत मुद्रा में कैसे विश्राम कर सकते हैं? आइए जानते हैं क्षीर सागर में शेषनाग पर इतनी शांत मुद्रा में विश्राम क्यों कर रहे हैं.
शेषनाग पर इसलिए आराम करते हैं नारायण
भगवान विष्णु चित्र में बहुत शांत स्वरूप में नजर आ रहे हैं. ये बुरे वक्त में संयम और धीरज रखने और मुश्किलों को नियंत्रित करने की प्रेरणा देते हैं. भगवान की इस चित्र में क्षीर सागर को सुख का प्रतीक बताया गया है और शेषनाग को काल यानी सुख का प्रतीक माना गया है. ऐसे में नारायण का ये स्वरूप काल, दुख, विपत्तियों और भय से मुक्त होकर सभी परिस्थिति में एक-सा रहने की प्रेरणा देता है.
जिस तरह श्री हरि पर संसार की जिम्मेदारी है, उसी तरह हर व्यक्ति भी कर्तव्य और जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है. इन दायित्वों का निर्वहन करते हुए ही व्यक्ति के जीवन में तमाम समस्याएं और परेशानियां आती हैं. कई बार ये परेशानियां व्यक्ति को बुरी तरह प्रभावित करती हैं और वो पूरी तरह टूट जाता है. ऐसे में व्यक्ति को नारायण की प्रतिमा देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए कि श्री हरि वे विपरीत परिस्थितियों में भी शांत, स्थिर, निर्भय तथा निश्चिंत हैं और धर्म पालन कर रहे हैं. नाग की शैय्या पर शयन करने के बावजूद भी नारायण भगवान भी विचलित नहीं होते. उसी तरह व्यक्ति को भी हर परिस्थिति शांत रहकर सामना करना चाहिए.
नारायण को इसलिए कहा जाता है हरि
भगवान विष्णु को श्री हरि के नाम से भी जाना जाता है. हरि का अर्थ है हरने वाला. जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में संकट आता है और वे व्यक्ति भगवान विष्णु का सच्चे दिल से स्मरण करता है, तो प्रभु उसके सारे दुख और पाप हर लेते हैं. इसी कारण भगवान विष्णु के भक्त उन्हें श्रीहरि और हरि के नाम से पुकारते हैं.