गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है

Update: 2023-07-02 13:36 GMT
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है. यह दिन गुरुओं को समर्पित है. इस दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने से बहुत लाभ होता है. गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. दरअसल, महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था और उन्हें दुनिया के पहले गुरु का दर्जा दिया गया है. इसीलिए महर्षि वेद व्यास के सम्मान में आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023, सोमवार को मनाई जाएगी.
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है (Guru Purnima 2023)
मनुष्य और गुरु का अटूट रिश्ता है. मानव जीवन में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है. हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान वेद व्यास का जन्म आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था, जिसे आज गुरु पूर्णिमा के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. हिंदू देश में गुरु का महत्व भगवान से भी अधिक बताया गया है क्योंकि गुरु के माध्यम से ही हमें अपने जीवन में भगवान का महत्व प्राप्त हुआ है. ऐसा माना जाता है कि अच्छी-बुरी संस्कृति, धर्म-अधर्म आदि का ज्ञान गुरु ही दुनिया भर में अपने शिष्यों को देते हैं. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है और इस दिन पूरी श्रद्धा से गुरु की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में माना जाता है कि मनुष्य को अपने जीवन में एक गुरु जरूर रखना चाहिए. जिसके अंतर्गत गुरु की दीक्षा ली जाती है और गुरु द्वारा बताए गए आचरण का पालन किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे मनुष्य को जीवन में मार्गदर्शन मिलता है और उसके जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन का सही मार्ग मिलता है. इस प्रकार उसका जीवन सुखमय हो जाता है.
गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी, इसके साथ ही सभी अठारह पुराणों की रचना भी गुरु वेदव्यास ने ही की थी. इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. है.
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