धर्म अध्यात्म: हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का बहुत महत्व है. महालक्ष्मी को समृद्धि, सौभाग्य और धन की देवी माना जाता है. यह व्रत पूरे सोलह दिनों तक किया जाता है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को इसका समापन होता है. कहा जाता है कि जो भी जातक विधि-विधान के साथ महालक्ष्मी व्रत का समापन करता है उसके घर में सुख-शांति बनी रहती है और मां लक्ष्मी की पूरे साल जमकर कृपा बरसती हैं. इस साल महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 22 सितंबर से शुरू हुई थी जिसका समापन 6 अक्टूबर को हो रहा है. बता दें कि यह व्रत 16 दिनों तक रखा जाता है. तो चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत समापन विधि के बारे में.
महालक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री
फूल, फल, धूप, दूब, इत्र, चंदन, गुलाल, रोली, मोली, अक्षत, इलाइची, सुपारी, 16 श्रृंगार के समान, 16 मिट्टी के दिए, 16 लौंग, 16 इलायची, नए वस्त्र, पंचामृत, सफेद बर्फी आदि.
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह उछकर स्नान आदि कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी लें और उसपर लाल कपड़ा बिछा लें और इसपर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
अब माता को माला अर्पित करें, सिंदूर लगाएं. इसके बाद चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल अर्पित करें और फिर धूप-दीप जलाएं. आखिरी में भोग लगाएं और मां लक्ष्मी की कथा और फिर आरती पढ़कर पूजा समाप्त करें.