क्या है शीतला पूजा की कथा

Update: 2023-03-14 14:14 GMT
चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन मां शीतला की पूजा की जाती है. इस त्योहार को बासौदा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन शीतला मां को बासी भोजन का भोग लगाने की मान्यता है. मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है. देवी की पूजा करने से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं इस साल कब है शीतला सप्तमी और अष्टमी और शुभ मुहूर्त.
शीतला सप्तमी – अष्टमी 2023 तिथि
शीतला सप्तमी – 14 मार्च 2023
शीतला अष्टमी (बसोड़ा) – 15 मार्च 2023
शीतला सप्तमी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 13 मार्च 2023 को रात्रि 09:27 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च 2023 को रात्रि 08:22 बजे समाप्त होगी. उदयतिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 14 मार्च को है. शीतला माता को शीतलता की देवी माना जाता है इसलिए सूर्योदय से पूर्व इनकी पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है.
शीतला माता की पूजा का समय – सुबह 06.31 – शाम 06.29 (14 मार्च 2023)
पूजा की अवधि – 11 घंटे 58 मिनट
शीतला अष्टमी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की शीतला अष्टमी 14 मार्च 2023 को रात्रि 08:22 बजे से प्रारंभ होकर 15 मार्च 2023 को 06:45 पर समाप्त होगी. शीतलाष्टमी के एक दिन पहले बासी भोजन यानी बासौड़ा माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार किया जाता है.
शीतला माता का पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 30 मिनट से शाम 06 बजकर 29 मिनट तक
शीतला पूजा की कथा
एक गांव में एक महिला रहती थी. जो देवी शीतला की भक्त थी और प्रतिदिन उनकी पूजा किया करती थी. लेकिन उस गांव में किसी और ने देवी शीतला की पूजा नहीं की. एक दिन उस गांव में आग लग गई, जिसमें गांव की सारी झोपड़ियां जलकर राख हो गईं, लेकिन देवी शीतला देवी की पूजा करने वाली महिला की झोपड़ी सुरक्षित बच गई. लोगों ने इसका कारण पूछा तो महिला ने बताया कि मैं शीतला माता की पूजा करती हूं, इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है. जिसके बाद महिला की बात सुनकर सभी शीतला माता की पूजा करने लगे.
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