जो लोग सौभाग्य प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें तुलसी विवाह पर अवश्य करना चाहिए
तुलसी विवाह पर अवश्य करना चाहिए
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं जिनमें तुलसी विवाह भी शामिल है यह पर्व बेहद ही खास होता है मान्यता है कि चार मास की योग निद्रा के बाद भगवान श्री हरि विष्णु जागते हैं और देवी तुलसी से विवाह रचाते हैं तुलसी विवाह को बेहद ही फलदायी माना जाता है शादीशुदा जोड़ा अगर तुलसी विवाह पर भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से देवी तुलसी का विवाह रचाता है
तो उसके जीवन की सभी खुशहाली आती है और पति पत्नी के रिश्ते मधुर बने रहते हैं इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी जी का पूजन किया जाता है ऐसा करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं अगर आप भी तुलसी विवाह रचा रहे हैं तो ऐसे में श्री तुलसी स्तुति का पाठ करना अत्यंत ही लाभकारी होगा तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री तुलसी स्तुति पाठ, तो आइए जानते हैं।
श्री तुलसी स्तुति—
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ १॥
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि ।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ २॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः ।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ ३॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् ।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ ४॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥ ५॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा ।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥ ६॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा ।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥ ७॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥ ८॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥