कुशा का आसन होता है उत्तम, पूजा में आसन का इस्तेमल माना गया है अच्छा

पूजा में आसन का भी खास महत्व है. अधिकांश घरों में लोग नीचे यानि फर्श पर बैठकर ही पूजा करते हैं. लेकिन धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसे सही नहीं माना गया है.

Update: 2021-12-26 06:51 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए बहुत सारे नियम की चर्चा की गई है. हर देवी और देवताओं की पूजा के लिए अलग-अलग फूल, मंत्र, प्रसाद अर्पित किए जाते हैं. इसके अलावा पूजा में आसन का भी खास महत्व है. अधिकांश घरों में लोग नीचे यानि फर्श पर बैठकर ही पूजा करते हैं. लेकिन धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसे सही नहीं माना गया है. जानते हैं कि घर में पूजा करते समय आसन से जुड़े किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.

पूजा के दौरान कैसा होना चाहिए आसन
धार्मिक ग्रथों के मुताबिक पूजा-पाठ करते वक्त कंबल के आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान कुशा के आसन का इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है. कुशा के आसन पर बैठकर पूजा करने से मंत्र की सिद्धि मिलती है. हालांकि श्राद्ध कर्म के दौरान कुशा के आसन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. वहीं हनुमान जी, देवी लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा करते वक्त लाल रंग के कंबल के आसन का इस्तेमाल करना अच्छा होता है. साथ ही देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
आसन का इस्तेमाल कैसे करें
घर या मंदिर में पूजा करते वक्त किसी दूसरे के आसन का इस्तेमाल शुभ नहीं होता है. पूजा के बाद आसन को सही से मोड़कर साफ-सुथरे स्थान पर रखना चाहिए. क्योंकि इसके आसन का अपमान होता है. साथ ही पूजा के बाद आसन को स्वच्छ हाथों से ही उठाएं. पूजा के आसन का इस्तेमाल किसी दूसके काम में कतई नहीं करना चाहिए. खासकर भोजन के लिए तो पूजा के आसन का इस्तेमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
पूजा के बाद ऐसे छोड़ें आसन
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पूजा के बाद आसन पर से सीधे नहीं हटना चाहिए. बल्कि आचमन करके थोड़ा सा जल नीचे अर्पित कर धरती माता को प्रणाम करें. इसके बाद अपने ईष्ट देव या देवी का स्मरण के बाद ही आसन को छोड़ें.


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