सती को पश्चाताप हुआ, कैलास पहुंच बड़ के पेड़ के नीचे शिव जी ने लगाई अखंड समाधि
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Sati was very Sad with her Act: जब सती ने श्री राम की परीक्षा लेने के लिए सीता का वेश धारण किया और लौट कर शंकर को असत्य जानकारी दी तो शिव जी को हृदय में बहुत विषाद हुआ, काफी देर चिंतन करने के बाद शिव जी ने श्री राम चंद्र जी के चरण कमलों में मन ही मन सिर नवाया और उनका स्मरण करते ही मन में विचार आया कि सती के इस शरीर से पति-पत्नी के रूप में भेंट नहीं हो सकती है. मन में यह संकल्प मजबूत करते हुए शिवजी कैलास की ओर चल पड़े तभी आकाशवाणी हुई कि हे महेश आपकी जय हो, आपमें भक्ति की अच्छी दृढ़ता है. आपको छोड़कर ऐसा दूसरा कौन है जो ऐसी प्रतिज्ञा कर सकता है. आप श्री रामचंद्र जी के भक्त हैं, समर्थ हैं और भगवान हैं. आकाशवाणी को सुन कर सती जी को चिंता हुई और उन्होंने पूछा हे प्रभो, बताइए आपने कौन सी प्रतिज्ञा की है. सती ने कई प्रकार से पूछने का प्रयास किया किंतु शिव जी तो बिना कुछ बोले आगे कैलास की ओर बढ़ने लगे. सती ने अनुमान लगाया कि शंकर जी सब कुछ जान गए हैं.