धर्म अध्यात्म: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. मंदिर के गर्भ गृह में महाराष्ट्र से लाई गई सागौन (टीक) लकड़ी के दरवाजे लगाए जाएंगे. महाराष्ट्र सागौन की लकड़ी से बने दरवाजे की उम्र कई सौ वर्ष होती है. लिहाजा भगवान रामलला के हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहने वाले मंदिर में अब दरवाजे की भी लंबी आयु हो इसलिए वैज्ञानिकों के सलाह पर महाराष्ट्र सागौन के दरवाजे लगाए जा रहे हैं.
दरवाजे का निर्माण हैदराबाद से आए कुशल कारीगर कर रहे हैं. भगवान रामलला के गर्भ गृह के मुख्य दरवाजे में बनाए जा रहे हैं. सनातन धर्म से जुड़े हुए चिन्ह जिसमें चक्र, गदा, त्रिशूल और गणपति की आकृति उकेरी जा रही है. इतना ही नहीं, संपूर्ण मंदिर में नगर शैली पर नक्काशी की जा रही है जिसे देखने के बाद हर राम भक्त बस मंदिर को निहारते रह जाएंगे. मंदिर के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है. जनवरी 2024 में शुभ मुहूर्त पर भगवान रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान होकर दिव्य दर्शन देंगे.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर में लगने वाले दरवाजे के निर्माण के लिए कारीगर काम कर रहे हैं. रामलला के गर्भ गृह में लगने वाली लकड़ी महाराष्ट्र के बलहरशाह से आई है. महाराष्ट्र के सागौन से रामलला के मुख्य दरवाजे का निर्माण किया जा रहा है. रामलला के गर्भ गृह में लगने वाले दरवाजे में नक्काशी हैदराबाद की कंपनी अनुराधा टिंबर्स के द्वारा की जा रही है. रामलला के दरवाजे के निर्माण में जो प्राथमिक कार्य चल रहा है वो तमिलनाडु के कन्याकुमारी के कारीगर कर रहे हैं.