महाशिवरात्रि पर शिव पंचाक्षर स्तोत्र का करें पाठ, दूर होगा कालसर्प दोष

01 मार्च दिन मंगलवार को महाशिवरात्रि है. इस दिन ही देवों के देव महादेव दिव्य ज्योति के रुप में प्रकट हुए थे,

Update: 2022-07-13 09:45 GMT

01 मार्च दिन मंगलवार को महाशिवरात्रि है. इस दिन ही देवों के देव महादेव दिव्य ज्योति के रुप में प्रकट हुए थे, जिसमें विशाल ज्योतिर्लिंग विद्यमान था. महादेव शिव सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देव हैं. उनको प्रसन्न करने का सबसे उत्तम दिन महाशिवरात्रि है. आप संकटों को दूर करने के लिए भगवान शिव शंकर की पूजा अर्चना करें. उनकी कृपा मात्र से ही जीवन सुखमय हो जाएगा.

सभी दोष दूर हो जाएंगे. अपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो इससे मुक्ति के उपाय के लिए महाशिवरात्रि एक अच्छा अवसर है. इस दिन आप कालसर्प दोष से मुक्ति का उपाय कर सकते हैं. आइए जानते हैं कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) से मुक्ति के सबसे आसान उपाय (Remedy) शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiv Panchakshar Stotra) के बारे में. इसके पाठ से कालसर्प दोष का दुष्प्रभाव खत्म होता है. इसे प्रतिदिन भी पढ़ सकते हैं.

महाशिवरात्रि पर शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वशिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे 'न' काराय नमः शिवायः।।
ओम नम: शिवाय, हर हर महादेव, भगवान शिव शंकर की जय.
महाशिवरात्रि को जब आप भगवान शिव की बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल, सफेद फूल, चंदन, शहद आदि से विधिपूर्वक पूजा कर लें, उसके बाद मन को शांत करें और प्रभु शिव शंकर का स्मरण करें. फिर शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद शिव जी का अरती करके उनसे कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें.
भगवान शिव स्वयं महाकाल और त्रिकालदर्शी हैं. उनके शरण में आए व्यक्ति का काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक भी कराया जाता है, इससे प्रभाव से ग्रह दोष शांत होते हैं.



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