निर्जला एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Update: 2023-05-24 14:07 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एक साल में 24 एकादशी आती हैं। इसमें सबसे अहम निर्जला एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेन एकादशी भी बोलते हैं। निर्जला एकादशी सबसे पवित्र एकादशी मानी जाती है। इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023, बुधवार को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी बोलते हैं। निर्जला एकादशी में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने की वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन निर्जल रहकर प्रभु श्री विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त:-
हिंदू पंचांग के मुताबिक, निर्जला एकादशी 31 मई को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का आरम्भ 30 मई को दोपहर में 01 बजकर 07 मिनट पर होगी तथा इसका समापन 31 मई को दोपहर को 01 बजकर 45 मिनट पर होगा। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का समय प्रातः 05 बजकर 24 मिनट से लेकर प्रातः 06 बजे तक रहेगा। निर्जला एकादशी का पारण 01 जून को किया जाएगा, जिसका समय प्रातः 05 बजकर 24 मिनट से लेकर प्रातः 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
निर्जला एकादशी पूजन विधि:-
निर्जला एकादशी के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पीले वस्त्र धारण करें तथा प्रभु श्री विष्णु की पूजा करें तथा व्रत का संकल्प लें। प्रभु श्री विष्णु को पीले फूल, पंचामृत एवं तुलसी दल अर्पित करें। साथ ही प्रभु श्री विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात् अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें। इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के पश्चात् अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
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