गुजरात में चमत्कार, 200 साल से जस की तस है, उड़द के आटे से बनी हनुमानजी की ये मूर्ति
धर्म अध्यात्म: देश में बजरंगबली के अनेकों मंदिर हैं, लेकिन गुजरात के इस मंदिर जैसी महिमा शायद ही कहीं देखने को मिले. यहां हनुमानजी की प्रतिमा उड़द के आटे की बनी हुई है, जो 200 साल पुरानी बताई जाती है. गांव के लोग इसे पवनपुत्र का चमत्कार कहते हैं, तभी तो इतने सालों से अनाज से बनी यह मूर्ति जस की तस है. रिपोर्ट: राज चौधरी/साबरकांठा
आमतौर पर भगवान की मूर्तियां संगमरमर या पत्थर से बनी होती हैं. कभी-कभी लकड़ी से बनी मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं, लेकिन गुजरात की इदर तालुका के कडियादरा गांव में हनुमान जी की एकमात्र मूर्ति है, जो उड़द के आटे से बनी है.
खास बात यह है कि यह मूर्ति 200 साल से भी ज्यादा पुरानी बताई जा रही है. 200 साल से मूर्ति का कोई भी हिस्सा टूटा नहीं है. हनुमानजी के चरणों में आज भी 200 साल पुराना अनाज (उड़द) देखा जा सकता है.
मूर्ति के दूसरे हिस्से पर रंगीन कागज चिपकाया गया है. दावा किया जाता है कि पूरे गुजरात में किसी अनाज या धान्य से बनी यह एकमात्र मूर्ति है जो 200 साल बाद भी बरकरार है.
हनुमानजी मंदिर के बगल में ग्रामदेवी का एक छोटा मंदिर है. ग्रामदेवी का यह छोटा मंदिर भी हनुमानजी की मूर्ति जितना ही पुराना है. नवरात्रि के स्थापना दिवस पर ग्रामीण यहां दीपक लेकर आते हैं. गांव के लोग देवी के सामने अपनी इच्छाएं प्रस्तुत करते हैं. एक लोककथा प्रचलित है कि ग्रामदेवी उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं.
यदि कोई गर्भवती महिला इस मंदिर के आसपास की सड़कों से गुजरती है, तो उसे बच्चे को जन्म देने के बाद बाबरी (बच्चो का मुंडन) करने के लिए इस मंदिर में आना पड़ता है. एक लोककथा यह भी प्रचलित है कि यदि कोई महिला यहां पर बच्चों की बाबरी नहीं करती तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है.