धर्म अध्यात्म: गुमला के रायडीह प्रखंड के मरदा गांव स्थित महा सदाशिव मंदिर जिले का सबसे भव्य मंदिर है. यहां 26 मुख और 52 भुजा वाले महादेव विराजते हैं. साथ ही काले पत्थरों से निर्मित 84 अन्य देवी देवता भी हैं. इसकी ऊंचाई लगभग 85 फीट है. गुमला में राज्य का पहला महा सदाशिव मंदिर है एवं भगवान शिव का दुर्लभ स्वरूप प्रतिष्ठित है. मान्यता है कि भगवान शिव के इस रूप के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही परिसर में तरह-तरह के फूल, फल एवं पौधे लगाए गए हैं जो इनकी शोभा को और बढ़ाते हैं.
यह जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर का पट सुबह 7:00 बजे से लेकर के दोपहर के 2:00 बजे तक एवं दोपहर के 3:00 से लेकर के शाम के 7:00 बजे तक खुला रहता है, जहां आकर आप भगवान भोलेनाथ का अनूठे भव्य स्वरूप का दर्शन कर सकते हैं. आइए जानें महा सदाशिव मंदिर के बारे में मंदिर के आचार्य मनोरंजन मिश्रा के जुबानी…
मनोरंजन मिश्रा ने बताया कि हमारे देवालय में 26 मुख और 52 भुजाएं वाले महा सदाशिव की प्रतिमा स्थापित है व मुख्य द्वार पर नवग्रह स्थापित हैं. जिससे इसकी शोभा और बढ़ जाती है. विष्णु पुराण में वर्णित है कि भोलेनाथ के महासदा शिव के रूप के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं व मनुष्य का जीवन धन-धान्य हो जाता है. महादेव देव जिनकी महिमा, कृपा अपरंपार है.इस मंदिर का निर्माण एवं प्रतिमा का निर्माण विज्ञान सिंह द्वारा कराया गया है. जो उड़ीसा के कारीगरों द्वारा निर्मित है. एवं यह किसी भी मंदिर या प्रतिमा का नमूना नहीं है. खुद से डिजाइन करके बनाया गया है. यह जगतगुरु शंकराचार्य राम स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा 2019 में प्रतिष्ठित है.
महासदा शिव मंदिर में सावन में विशेष पूजा अर्चना होती है. शिव सर्वज्ञ है, यह विशेष महीना होता है. इसलिए सावन के इस पुनीत महीना में भक्तों का यहां तांता लगा रहता है एवं लोग यहां भगवान शिव की पूजा अर्चना एवं आराधना करने काफी संख्या में पहुंचते हैं. इस मंदिर की मुख्य विशेषता है कि जो भक्त तन-मन-धन न्योछावर करके पूजा अर्चना करते हैं तो भक्तों को सिद्धि प्राप्त होती है व महा सदाशिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
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