जब हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो सामान्यतः दीपक जलाते हैं। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है, हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं। जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है। उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दीपक किस तरह पूजा पाठ में अपना महत्व बनाये रखता हैं।
# आप बहुत मेहनत करते हैं लेकिन आपको उसके हिसाब से फल हासिल नहीं होता तो आपको रोज शाम देवी लक्ष्मी के सामने लाल बाती रखकर घी का दीपक जलाना चाहिए।
# पूजा के समय घी का दीपक उपयोग करने का एक और आध्यात्मिक कारण है। शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसीलिए घी का दीपक जलाया जाता है।
# प्रमोशन नहीं हो पा रहा है या बार-बार असफलता ही हाथ लगती है तो देवी लक्ष्मी के साथ-साथ विष्णु जी की भी पूजा करें। हाथ में बांधने वाली मौली की बाती बनाकर घी का दीपक जलाएं। दीपक में हल्दी और कुमकुम भी मिला लें।
# कहते हैं कि यदि तिल का तेल के उपयोग से दीपक जलाया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं। लेकिन घी वाला दीपक बुझने के बाद भी करीब चार घंटे से भी ज्यादा समय तक अपनी सात्विक ऊर्जा को बनाए रखता है।
# परिवार में कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित है तो शाम के समय घर का दरवाजा खोलकर दक्षिण दिशा की ओर रखकर सरसो के तेल का दीपक जलाएं। मार्केश की दशा होने पर भी यह लाभदायक हो सकता है।
# दीपक को घी से ही जलाने के पीछे मानवीय शारीरिक चक्रों का भी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर में सात चक्रों का समावेश होता है। यह सात चक्र शरीर में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। यह चक्र मनुष्य के तन, मन एवं मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं।
# कोई अनजाना भय घेरे हुए है या शत्रुओं की संख्या बढ़ती जा रही है तो नियमित रूप से हनुमानाष्टक का पाठ करें और लाल रंग की बाती का दीपक नित्य हनुमान जी के सामने जलाएं।