जानें चाणक्य के अनुसार दुनिया में कौन दान सर्वश्रेष्ठ होता है

Update: 2022-11-10 14:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य भारत के उन दिग्गज नीतिकारों में से एक थे, जिन्होंने अपने एक सामान्य से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को पूरे शासन का सम्राट बना दिया था. राजनीति और शासन से जुड़े मुद्दों के दिग्गज चाणक्य ने जीवन को लेकर भी कई अहम बातें कही हैं. उनकी बातें आज भी सटीक साबित हो सकती है. चाणक्य के द्वारा लिखे नीति शास्त्र आज भी लोगों के लिए सफलता के मूल मंत्र साबित हो सकते हैं. मार्गदर्शन के लिए आज भी लोग इन्हें अपने जीवन में लागू करते हैं. चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में दान का विशेष महत्व बताया है. उनके मुताबिक दान करने वाले को जीवन में कभी-कभी इसका शुभ लाभ प्राप्त होता है. चाणक्य कहते हैं कि भू दान, कन्या दान, वस्त्र दान और अन्न दान से भी बड़ा या श्रेष्ठ एक दान होता है, जिसके जरिए हम दूसरों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं. यहां हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

जानें चाणक्य के अनुसार दुनिया में कौन दान सर्वश्रेष्ठ होता है

आचार्य चाणक्य ही नहीं हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी कहा गया है कि दान करना कितना अच्छा होता है. साथ ही इसे गोपनीय रखना भी जरूरी होता है. हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार जीवन में दान करते रहना चाहिए.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आप भू दान, वस्त्र दान, अन्न दान व अन्य दान करते होंगे, लेकिन इन सब से ऊपर होता है विद्या का दान. चाणक्य ने अपने पूरे जीवन में ज्ञान को बांटने की नीति को अपनाए रखा. यही वजह है कि लोग आज भी इसका फायदा उठा रहे हैं.

चाणक्य नीति के अनुसार विद्या कामधेनु गाय की तरह है, जो कभी इच्छाओं को पूरा करना बंद नहीं करती है. विद्या वो धन है जो कभी खर्च नहीं हो सकता. इस जितना बांटा जाए, ये उतना ही बढ़ता है. ज्ञान की ताकत दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है, इसलिए इसे सभी के साथ बांटना चाहिए.

चाणक्य कहते हैं कि भू दान, वस्त्र दान करके किसी का कुछ समय के लिए भला किया जा सकता है, लेकिन अगर किसी को ज्ञान बांटकर उसका भला किया जाए, तो इसका फल उसे जीवन भर मिलता है. इतना ही नहीं इसका फायदा उसकी पीढ़ियां तक उठाती हैं.

चाणक्य नीति कहती है कि दूसरी चीजों का दान करना अच्छी बात है, लेकिन अगर आप ज्ञान का दान करते हैं, तो इससे पूरे समाज का कल्याण भी हो सकता है. ज्ञान को खुद तक रखना एक तरह का पाप है. बिना किसी खर्च के किसी का भला करना हो तो ज्ञान को बांटना चाहिए.

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