जानिए आज कालाष्टमी के दिन करें भैरवाष्टकम् का पाठ

आज पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन कालाष्टमी या भैरवाष्टमी का पूजन है। आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव का पूजन करने का विधान है

Update: 2021-12-27 13:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   आज पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन कालाष्टमी या भैरवाष्टमी का पूजन है। आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव का पूजन करने का विधान है। माना जाता है कि काल भैरव के पूजन से अकाल मृत्यु के भय का नाश होता है। काल भैरव सभी तरह के मंत्र-तंत्र और भूत-प्रेत बाधा का नाश करते हैं। जो व्यक्ति किसी भी तरह के टोने या जादू के प्रभाव में हो उन्हें कालष्टमी का पूजन जरूर करना चाहिए। भगवान शिव का अवतार होने के कारण काल भैरव का पूजन प्रदोष काल में करना उत्तम माना जाता है। इस बार काल अष्टमी तिथि, सोमवार को होने के कारण, इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। काल भैरव के तांत्रकि और तामसिक पूजन का विधान है, लेकिन गृहस्थ लोगों सात्विक पूजन करना चाहिए।

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आज भैरवाष्टमी के दिन प्रदोष काल में विधि पूर्वक काल भैरव का पूजन करें। पूजन में भैरवाष्टकम् का पाठ करना चाहिए। काल भैरव के इस भैरवाष्टकम् का पाठ करने से सभी प्रकार के मंत्र-तंत्र, जादू-टोने और प्रेत बाधा का नाश होता है। इस दिन काल भैरव की सवारी काले कुत्ते को रोटी खिलान भी उत्तम उपाय है। काल भैरव का पूजन सभी दुखों का नाश करता है और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्त करता है।
काल भैरव अष्टकम्
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देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
 आज है कालाष्टमी, जानें भैरव देव की पूजा विधि एवं महत्व
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपामालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥


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