जानिए हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व होता है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन अक्षय नवमी को मनाया जाता है।

Update: 2022-06-13 08:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व होता है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन अक्षय नवमी को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से उसका पुण्य वर्तमान के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

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आंवला नवमी 2021 शुभ मुहूर्त-
नवमी तिथि प्रारंभ-
12 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 13 नवंबर, शनिवार को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
आंवला नवमी महत्व-
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है। आंवला नवमी को ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था। इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग अक्षय नवमी पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान श्री हरि का स्मरण करते हुए रात्रि जागरण करें।
आंवला नवमी पूजा विधि-
महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।


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