फाल्गुन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानिए
हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन का महीना सबसे अंतिम महीना होता है.
हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन का महीना सबसे अंतिम महीना होता है. इस माह के लास्ट में पड़ने वाली पूर्णिमा को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इसी दिन होलिका दहन किया जाता है. इस दिन व्रत, गंगा स्नान, पूजा-पाठ और दान करने का महत्व होता है. परंतु फाल्गुन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. जिसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. क्योंकि फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 07 मार्च को है. मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से इंसान की हर मनोकामना पूरी होती है. चलिए हम आपको बताएंगे फाल्गुन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
फाल्गुन पूर्णिमा डेट और शुभ मुहूर्त (Falgun Purnima 2023 Date and Shubh Muhurat)
फाल्गुन माह में पूर्णिमा 07 मार्च को मनाई जाएगी. पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 06 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर होगा. इस तिथि का समापन इसके अगले दिन यानि 07 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार 07 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का मान रहेगा.
चंद्रोदय समय – शाम 06.19 (7 मार्च 2023)
स्नान मुहूर्त – सुबह 05.07 – सुबह 05.56 (7 मार्च 2023)
लक्ष्मी पूजा (निशिता काल मुहूर्त) – प्रात: 12.13 – प्रात: 01.02 (8 मार्च – लक्ष्मी पूजन के लिए मध्यरात्रि का समय उत्तम माना जाता है)
होलिका दहन मुहूर्त – शाम 06.31 – रात 08.58 (7 मार्च 2023)
फाल्गुन पूर्णिमा पूजा विधि (Falgun Purnima Puja Vidhi)
-इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने. इसके बाद भगवान विष्णु के नरसिंह स्वरूप की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें.आप इस बात का ध्यान रखें कि उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके पूजा करनी चहिए.
-होलिका दहन के समय उपवास रखें और केवल फल खाएं. जब आप होलिका दहन के लिए जाएं तो अपने शरीर पर उबटन लगा लें और साफ जल से स्नान कर लें.
-होलिका का निर्माण घर पर करें. इसके लिए गाय के गोबर की आवश्कयता होती है. अब होलिका की पूजा करें और इसके बाद होलिका दहन की तैयारी करें.
-होलिका दहन की थाली को अच्छे तरीके से सजाएं. थाली में हल्दी, गुड़, पुष्प, सुगंध, कच्चा सूत, रोली, माला, मूंग दाल, नारियल और गुलाल रखें. आप इसके साथ ही थाल में 5 से 7 तरह का अनाज भी रखें.
-होलिका दहन के बाद 5 या 7 बार अग्नि की परिक्रमा करें. इसके बाद बड़ों के चरण स्पर्श करें और चेहरे पर गुलाल चेहरे पर लगाकर सभी से गले मिलें.