यहां जानिए साल के पहले चंद्र ग्रहण को लेकर जानकारी
साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को लगा था
साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022) 30 अप्रैल को लगा था. अब सूर्य ग्रहण के बाद चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी लगने वाला है.सूर्य ग्रहण के बाद से ही हर कोई जानने को उत्सुक है कि आखिर साल का पहला चंद्र ग्रहण कब लगने वाला है. सूर्य ग्रहण की तरह से ही चंद्र ग्रहण का अपना महत्व होता है. आपको बता दें कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच सूर्य के आने से चंद्र ग्रहण लगता है. माना जाता है कि चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan date) हमेशा पूर्णिमा तिथि को लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या पर. सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार राहु-केतु का प्रकोप धरती पर रहता है.
कब लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल 2022 में पहला चंद्र ग्रहण इसी माह लगने वाला है. आपको बता दें कि चंद्र ग्रहण 16 मई को लगने जा रहा है. खास बात ये है कि ग्रहण भारत समेत कई देशों में देखा जाएगा. यानी कि इस ग्रहण में सूतक माना जाएगा और साथ ही सभी तरह की सावधानियां भी बरती जाएंगी. आपको बता दें कि यह साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण है.
कब लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण
इस साल एक नहीं दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं. आपको बता दें कि इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को लगेगा. यह भी भारत समते कई देशों में देखा जा सकेगा. पूर्ण चंद्र ग्रहण होने के कारण इसमें भी सूतक मान्य होगा. ये ग्रहण भी पूर्ण होगा.ये कई तरह से परेशानियां भी लेकर आ सकता है.इस चंद्र ग्रहण का समय दोपहर 1:32 मिनट पर शुरू होकर शाम में 7:27 मिनट बताया जा रहा है, इस दौरान ग्रहण के सभी नियमों का पालन जरूरी है.
चंद्र ग्रहण की सावधानियां
चंद्र ग्रहण के दौरान भी कई अन्य सावधानियां बरतने की भी जरूरत होती है. कहते हैं कि इस दौरान चंद्र देव कष्ट में होते हैं, राहु केतु उनको कष्ट देते हैं, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पूजा पाठ आदि करना चाहिए. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए. चंद्र ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें होने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव डालती हैं. इस ग्रहण के दौरान किसी को भी खाना पीना नहीं चाहिए. इसके साथ ही सभी खाने पीने की चीजों में दूब, तुलसी आदि डालनी चाहिए. इसके अलावा ग्रहण के बाद हर किसी को स्नान जरूर करना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)