ज्योतिषाचार्य से जानें कब है रंगभरी एकादशी व्रत

इस वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी 13 अैर 14 मार्च दोनों दिन मनाई जाएगी।

Update: 2022-03-13 09:50 GMT

इस वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी 13 अैर 14 मार्च दोनों दिन मनाई जाएगी। शोक उठावनी एकादशी 13 और व्रती एकादशी 14 मार्च को होगी। इसी दिन सर्वार्थ सिद्ध योग और पुष्प नक्षत्र भी रहेगा।

हरि ज्योतिष संस्थान लाइनपार के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा एवं हिमगिरि कालोनी निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित केदार नाथ मिश्रा ने बताया इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसे आमल की एकादशी भी कहते हैं। वैसे तो एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित हैं। मगर यह एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान शंकर से है। इसलिए काशी विश्वनाथ वाराणसी में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है।
मान्यता है कि इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे। तब उनका स्वागत रंग गुलाल से हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 13 मार्च की सुबह 10 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी। यह 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। एकादशी को शोक शाम के समय उठता है इसलिए आज 13 मार्च को उठाया जा सकता है। जबकि उदयतिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी का व्रत 14 मार्च को करना श्रेष्कर रहेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से रात 10 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इसी दिन पुष्प नक्षत्र भी रात 10 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।


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