जानिए आमलकी एकादशी के बारे में सब कुछ

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहा जाता है

Update: 2021-03-20 14:03 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   हिंदू पंचांग के अनुसार, हर की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहा जाता है। यह तिथि हर महीने दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है। यह फाल्गुन मास चल रहा है। इस मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी होली से कुछ दिन पहले आती है ऐसे में इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हर एकादशी की तरह इस दिन भी भगवान विष्णु की खास पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति आमलकी एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ रखता है उसे भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष आमलकी एकादशी का व्रत 25 मार्च 2021 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त और महत्व।

आमलकी एकादशी 2021 मुहूर्त:
एकादशी तिथि का प्रारंभ- 24 मार्च, बुधवार को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 25 मार्च, गुरुवार को 09 सुबह 47 मिनट तक
एकादशी व्रत पारण का समय- 26 मार्च, शुक्रवार को सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक
आमलकी एकादशी का महत्‍व:
आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आमलकी का अर्थ आंवला होता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था। आंवले के पेड़ के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है. मान्‍यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि विष्‍णु की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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