यहां है प्राचीन बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर, गर्भगृह में शिवलिंग पर पड़ती है सूर्य की पहली किरण

Update: 2023-07-26 18:57 GMT
धर्म अध्यात्म: सावन में छत्तीसगढ़ में मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध धर्मनगरी आरंग शिवमय हो गई है. यहां के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रहती है. यहां के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ रहती है. यहां पूरे सावन माह के दौरान रोजाना रुद्राभिषेक किया जा रहा है. कहा जाता है कि वनवास के समय भगवान श्री राम ने बाबा बागेश्वर नाथ मंदिर में रुक कर भोलेनाथ की पूजा की थी. इस कारण यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
बाल्मीकि रामायण में इस मंदिर का उल्लेख राम वन गमन पथ के रूप में मिलता है. सांस्कृतिक शोध संस्थान व्यास नई दिल्ली के शोध कर्ता डॉ. रामअवतार शर्मा के अनुसार भी श्रीराम जी वनवास के दौरान जिन 249 स्थानों में रुके थे, उनमें से एक आरंग का श्री बागेश्वर नाथ मंदिर भी है, जो उनकी पुस्तक में “जंह जंह राम चरण चलि जाहि” में 98 नंबर पर उल्लेखित है.
2500 नारियलों से हुआ इस शिवलिंग का निर्माण
2500 नारियलों से हुआ इस शिवलिंग का निर्माणआगे देखें...
108 खंभों से निर्मित है ये मंदिर
108 खंभों से निर्मित इस मंदिर में 24 खंभे गर्भगृह मंडप के लिए है, जो समय को प्रदर्शित करता है. शेष 84 खंभों से मंदिर के चारों ओर चार दीवारी बनाई गई है. यह मंदिर पूर्वाभिमुख है. यहां के श्रद्धालु बताते हैं कि सूर्योदय की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ की मूर्ति पर सीधा पड़ती है. मंदिर की एक खासियत यह भी है कि भगवान भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती की मूर्ति गर्भगृह में विराजमान हैं. यहां शिवलिंग के विशेष श्रृंगार के साथ पूजा अर्चना प्राख्यात है. शिवलिंग का उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर रोजाना अलग- अलग स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है. इस मार्ग से जब भी आदिगुरू शंकराचार्य गुजरते हैं, भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने अवश्य पहुंचते हैं.
आरंग में 107 शिवलिंग
प्राचीन काल में आरंग में 107 शिवलिंग थे. किसी कारणवश 108 शिवलिंग न होने के कारण इसे काशी का दर्जा नहीं मिल पाया. आज भी बागेश्वर, भुवनेश्वर, वटेश्वर, जलेश्वर, कुमारेश्वर सहित अनेक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग नगर की चारों दिशाओं में विद्यमान हैं. जहां श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. वहीं मोरजध्वज की नगरी के नाम से विख्यात आरंग नगर में सैकड़ों मंदिर होने के कारण छत्तीसगढ़ में मंदिरों की नगरी कहा जाता है. यहां श्रावण में हर शिवालय में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
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