व्रत की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण किया जाता है। व्रत में लहसुन-प्याज खाने की भी मनाही है। हालांकि इन दोनों के स्वास्थ्य लाभ भी भरपूर हैं।
ये है पौराणिक कथा
जब देवताओं और असुरों के बीच मंथन हुआ था तो उस मंथन में सबसे आखिर में अमृत निकला था। इसके बाद देवताओं को अमृत पान कराने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। लेकिन तभी दो असुर राहु और केतु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया। जिसके कारण भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका सिर, धड़ से अलग कर दिया। जहां-जहां उनका रक्त गिरा, वहां-वहां लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हो गई। ऐसा माना जाता है कि तभी लहसुन-प्याज में से इतनी गंध आती है।
इनके सेवन से भटकता है मन
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक और तामसिक। पुराणों में प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक माना जाता है। साथ ही इन्हें राक्षसी प्रवृत्ति का भोजन भी माना जाता है। इनके सेवन से मन भटक सकता है वहीं व्रत के एकाग्र मन की आवश्यकता होती है। इसलिए व्रत के दौरान इनके सेवन की मनाही है।
अध्यात्म के मार्ग पर चलने में बाधा
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां जुनून, उत्तेजना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं जिस कारण अध्यात्म के मार्ग पर चलने में कठिनाई होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कारण इनका सेवन वर्जित माना गया है।
व्यवहार में आता है बदलाव
लहसुन और प्याज के ज्यादा सेवन से व्यक्ति के व्यवहार में भी बदलाव आता है। ये सब्जियां अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आती हैं। इसलिए ब्राह्मणों के लिए इसका सेवन निषिद्ध है।