पितृपक्ष के दौरान करें इन नियमों का पालन, पितृदोष से मिलेगी मुक्ति

Update: 2023-10-02 08:53 GMT


सनातन धर्म में साल के 15 दिन मृत परिजनों को समर्पित होते हैं जिसे पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनका श्रद्धा भाव से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर वंशजों पर कृपा करते हैं और सुख समृद्धि व उन्नति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस साल पितृपक्ष का आरंभ 29 सितंबर दिन शुक्रवार से हो चुका है जिसका समापन 14 अक्टूबर को हो जाएगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान को स्वीकार कर तरक्की और वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं पितृपक्ष के दिनों को पितृदोष से मुक्ति के लिए उत्तम बताया गया हैं ऐसे में इस दौरान श्राद्ध तर्पण के अलावा अगर कुछ नियमों का पालन किया जाए तो पितृदोष का निवारण हो जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा उन्हीं नियमों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पितृपक्ष में करें इन नियमों का पालन—
अगर आप पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप पितृपक्ष के दिनों में पिंडदान जरूर करें। इसके लिए चावल के पिंड बनाएं और उन्हें पूर्वजों को समर्पित करें। यह अनुष्ठान विशेष ​स्थलों पर जैसे वाराणसी, प्रयागरनाज और गाय में किया जा सकता हैं ऐसा करने से लाभ मिलता हैं।
पितृपक्ष के दिनों में जरूरतमंदों को भोजन कराने से पितृदोष का नाश हो जाता है आप इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को फल, अन्न् का दान जरूर करें। पितृगणों की तृप्ति के लिए धान्य और वस्त्रों का दान लाभकारी होता है ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है।


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