बरेली का अलखनाथ मंदिर जिसे मुगल भी नहीं तोड़ पाए, होती है शिव की पूजा

Update: 2023-07-27 12:39 GMT
धर्म अध्यात्म: बरेली में सात नाथ मंदिर हैं. इन सातों नाथ मंदिरों की अलग-अलग विशेषताएं है. इनमें से सबसे प्राचीन मंदिर अलखनाथ भी है. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है.
देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 250 किलोमीटर की दूरी पर बसा नाथ नगरी से पहचाना जाने वाला शहर बरेली मंदिरों के नाम से भी एक अलग स्थान और एक अलग पहचान रखता है. बरेली में सात नाथ मंदिर हैं. इन सातों नाथ मंदिरों की अलग-अलग विशेषताएं हैं. इनमें से सबसे प्राचीन मंदिर अलखनाथ भी है. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. मान्यता है कि अलखनाथ मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भक्तों का कल्याण और उनकी सारी मुराद पूरी हो जाती है.
बता दें कि मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. यहां दूरदराज से भक्त आकर पूजा-अर्चना करते हैं और भोले बाबा से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. अलखनाथ मंदिर में बरगद के पेड़ में स्वयंभू भगवान शंकर का शिवलिंग है. मंदिर में प्रवेश करने से पहले ही 51 फिट ऊंची विशाल हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है. मूर्ति के दर्शन करने से लोगों के संकट दूर हो जाते हैं. सावन के महीने में अलखनाथ मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त आकर दर्शन करते हैं और जलाभिषेक करते हैं.
जानिए क्या है मंदिर का इतिहास
बता दें कि अलखनाथ मंदिर के बाहर लगे पत्थर पर इसके इतिहास के बारे में लिखा है. इसके अनुसार, मंदिर 6,500 वर्ष से भी पुराना माना गया है. नाथ नगरी बसने से पहले का यह मंदिर है. एक समय भी ऐसा आया कि कुछ शासकों ने मंदिर को तोड़ने का बहुत प्रयास किया और इस स्थिति में आनंद अखाड़ा से नागा साधु बाबा अलखिया को यहां भेजा गया, जिससे कि वैदिक धर्म की रक्षा हो सके.
बाबा अलखिया द्वारा कठोर तपस्या के बाद शिवलिंग की स्थापना की गई. बाबा अलखिया के नाम से ही इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर रखा गया. मान्यता है कि मंदिर की सेवा की जिम्मेदारी आनंद अखाड़ा ने संभाल रखी है. सावन के महीने में मंदिर में आकर दूर-दराज के भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. लाखों की संख्या में भोले के भक्त यहां जलाभिषेक करते हैं. मान्यता यह भी है कि सावन के महीने में भक्तों की सारी मुराद पूरी हो जाती है.
मंदिर में प्रवेश करने से पहले ही होंगे हनुमान जी के दर्शन
बता दें कि मंदिर के द्वार के ठीक बराबर हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई है, जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है. शनिदेव का मंदिर भी है. यहां भक्तों का हर समय आना-जाना लगा रहता है. मंदिर में भीड़ लगी रहती है. बताया जाता है कि हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन करने से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं. इस समय मंदिर के महंत कालू गिरी जी महाराज हैं.
सितंबर माह में हर साल लगता है विशाल मेला
अलखनाथ मंदिर में हर साल सितंबर महीने में लगभग 15 दिन का एक विशाल मेला आयोजित किया जाता है. इस मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में रामसेतु बाबा पत्थर है, जो पानी में हमेशा तैरता रहता है. इस बात का उल्लेख क्रिस्टल के प्राचीन देवालय पुस्तक में भी किया गया है. इस पत्थर का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
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