इस दिन से शुरू होगे शुभ कार्य, जानिए शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारी

हिंदू धर्म में पर्व और तिथियों का खास महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के समय पर सूर्य ग्रह एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है

Update: 2021-04-06 10:39 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक| हिंदू धर्म में पर्व और तिथियों का खास महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के समय पर सूर्य ग्रह एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करता है. हर साल मेष संक्रांति (Mesh Sankranti) 14 अप्रैल को आती है. इस दिन सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करता है. इस त्योहार को उत्तर भारत के लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं. इसे सत्तू संक्रांति और सतुआ संक्रांति भी कहते हैं.

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन खारमास का समापन होता है. इस दिन के बाद से विवाह, गृह प्रवेश और जमीन खरीदने जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. आइए जानते हैं मेष संक्रांति से जुड़ी खास बातों के बारे में.
मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्
मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त 14 अप्रैल, 2021 को सुबह 5 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट कर रहेगा.
मेष संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इस दिन भगवान सूर्य की आरधना करने से सूर्य ग्रह से जुड़े दोषों से छुटकारा मिलता है. भगवान सूर्य की आराधना करने से घर में धन और यश का लाभ होता है. इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए. उन्हें सत्तू का भोग लगाया जाता है.
देश में अलग- अलग नामों से जाना जाता ह
मेष संक्रांति को अलग- अलग राज्य में विभिन्न नामों से जाना जाता है. मेष संक्रांति को पंजाब में वैशाख, तमिलनाडु में पुथांदु, बिहार में सतुआनी, पश्चिम बंगला में पोइला बैसाख और ओडिशा में पना संक्रांति कहा जाता है.
मेष संक्रांति पर करें दान पुण्य
मेष संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन दान- पुण्य करने से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं. अगर आप पवित्र नदी में स्न्नान नहीं कर सकते हैं तो घर की बाल्टी में गंगाजल डालकर स्नान करें. इस दिन सत्तू खाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

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