astrology news : शनिवार को सूर्यास्त के बाद करे ये काम, शनिदेव होंगे प्रसन्न

ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में शनिदेव को कर्मों का दाता माना गया है और वे जातक को उसके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है तो वही बुरे कर्म करने वालों को शनि दंड भी देते हैं शनि को प्रसन्न करने के लिए …

Update: 2024-01-08 05:58 GMT

ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में शनिदेव को कर्मों का दाता माना गया है और वे जातक को उसके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है तो वही बुरे कर्म करने वालों को शनि दंड भी देते हैं शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है।

ऐसे में अगर इस दिन संध्याकाल में शनिदेव के मंदिर जाकर भगवान की विधिवत पूजा कर उनके प्रिय शनि स्तोत्र का पाठ किया जाए तो यह अधिक फलदायी रहेगा और शनि देव प्रसन्न होकर आप पर प्यार लुटाएंगे जिससे बेशुमार धन दौलत और तरक्की मिलती है।

शनि स्तोत्र—

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।

भगवान शनिदेव के मंत्र

सफल जीवन के लिए मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

शनिदेव का वैदिक मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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