महाशिवरात्रि के महाव्रत में 20 बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए
सनातन परंपरा में शिव की पूजा अत्यंत ही सरल और शीघ्र ही फलदायी है. शिव कृपा बरसाने वाला महाशिवरात्रि का महाव्रत 01 मार्च 2022 को रखा जाएगा. ऐसे में देवों के देव महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए महाशिवरात्रि व्रत से जुड़ी 20 बड़ी बातों को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा के लिए सभी पावन तिथियों और दिन में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का सबसे ज्यादा महत्व है. मान्यता है कि इसी दिन देवों के देव महादेव (Mahadev) शिवलिंग (Shivling) के रूप में प्रकट हुए थे. महाशिवरात्रि का महापर्व 01 मार्च 2022 को पड़ने जा रहा है. ऐसे में प्रत्येक भक्त ने जप-तप और व्रत के माध्यम से औढरदानी भगवान शिव को मनाने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए तैयारियां करना प्रारंभ कर दिया है. यदि आप चाहते हैं कि आपकी पूजा से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होकर आपको मनचाहा वरदान प्रदान करें तो आपको महाशिवरात्रि के महाव्रत में नीचे दी गई 20 बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
भगवान शिव हमेशा निश्छल भक्ति को महत्व देते हैं. ऐसे में भूलकर भी शिव की साधना करते समय अपने मन में किसी प्रकार का कपट या अभिमान न लाएं और पूरी श्रद्धा, विश्वास और समर्पण के साथ उनकी विधि-विधान से पूजा करें.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव जी की पूजा करते समय भूलकर भी काला वस्त्र धारण न करें. भगवान शिव का पूजन सफेद या फिर लाल, पीला, केसरिया, आसमानी आदि रंग का पहन कर करें.
भगवान शिव की पूजा में संभव हो तो सिले हुए वस्त्र पहन कर पूजा न करें और हमेशा शुद्ध आसन पर बैठकर ही पूजा करें.
भगवान शिव की पूजा करते समय आपका मुख हमेशा पूर्व या उत्तर की तरफ होना चाहिए.
भगवान शिव को कभी भी तांबे के पात्र से दूध अर्पित नहीं करना चाहिए. शिवलिंग पर हमेशा स्टील, पीतल या फिर चांदी के पात्र से ही दूध चढ़ाएं.
शिवलिंग के ऊपर लगे हुए कलश में भूलकर भी दूध न डालें. उसमें सिर्फ गंगाजल या शुद्ध जल ही डालें.
शिवलिंग पर दूध, दही, शहद से अभिषेक करने के बाद गंगाजल या शुद्ध जल अवश्य चढ़ाएं.
शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाले बेलपत्र या शमी पत्र का वज्र भाग अवश्य तोड़ दें. बेलपत्र की डंठल की ओर जो मोटा सा भाग होता है, वह वज्र कहलाता
महाशिवरात्रि पर आप भगवान शिव पर नारियल तो चढ़ा सकते हैं, लेकिन कभी भूलकर भी उनका नारियल के जल से अभिषेक न करें.
भगवान शिव की पूजा में कुटज, नागकेसर, बंधूक, मालती, चंपा, चमेली, कुंद, जूही, केतकी, केवड़ा आदि फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं. इसलिए इन फूलों का भूलकर भी शिव की पूजा में प्रयोग न करें.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को पूजा में तुलसी बिल्कुल न चढ़ाएं और न ही शंख से उनका जलाभिषेक करें.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को खंडित चावल, हल्दी और कुमकुम न चढ़ाएं, अन्यथा आप शिव कृपा की बजाय महादेव के क्रोध के भागीदार बनेंगे.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी प्रिय वस्तु यानि भांग का भोग अवश्य लगाएं.
शिवलिंग को स्पर्श किया हुआ भोग नहीं ग्रहण किया जाता है, जबकि अन्य भोग और प्रसाद को आप ग्रहण और दूसरों को बांट सकते हैं.
महाशिवरात्रि पर व्रत एवं शिव पूजन करने वाले साधक को अपने ललाट पर लाल चंदन का त्रिपुण्ड और बाहों पर भस्म अवश्य लगाना चाहिए.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की साधना के लिए बहुत सारे मंत्र हैं, लेकिन उनका सबसे सरल पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप आप आसानी से कर सकते हैं.
भगवान शंकर का महाव्रत रखने वाले शिव साधक को उनके मंत्र का जप हमेशा शुद्ध, रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए.
भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पावन है महाशिवरात्रि, इसलिए इस दिन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करते हुए कीर्तन और जागरण करें.
महाशिवरात्रि में दिन में नहीं सोना चाहिए, हालांकि वृद्ध एवं बीमार व्यक्तियों के लिए यह नियम नहीं लागू होता है.
शिवलिंग की पूजा करने के बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें. भूलकर भी जिधर से जल बहता है, उसे न डांके, बल्कि वहीं से वापस लौट जाएं.