धर्म अध्यात्म: सावन मास को श्रावण मास भी कहा जाता है। सावन के महीने को धार्मिक आधार पर बेहद शुभ माना जाता है। वैसे तो पूरे श्रावण मास में बाबा महाकाल के पूजन अर्चन का क्रम जारी रहता है, लेकिन शनि प्रदोष के महासंयोग पर मंदिर में प्रतिदिन होने वाले आरती पूजन के साथ ही 11 ब्राह्मण गर्भगृह में एकादश एकादशनी रुद्राभिषेक कर भगवान शिव का विशेष अभिषेक पूजन और रुद्राभिषेक करते हैं, ऐसी मान्यता है कि प्रदोष पर बाबा महाकाल व्रत रखते हैं इसीलिए संध्या आरती में बाबा महाकाल को पकवानों का महाभोग लगाकर आरती की जाती है।
आज (शनिवार) का दिन कई विशेष संयोग लेकर आया है। एक ओर तो शनि प्रदोष का महासंयोग है, तो वहीं दूसरी और मासिक शिवरात्रि श्रावण मास में इन दोनों ही संयोगों के एक साथ आने से आज के दिन भगवान शिव के पूजन का महत्व अपने आप ही बढ़ जाता है। महाशिवरात्रि पर व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व है, इसलिए शनिवार को श्रद्धालु पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसका पूजन अर्चन करेंगे। शनि प्रदोष के महासंयोग पर आज (शनिवार) को महाकालेश्वर मंदिर में भी दोपहर तीन बजे से भगवान का विशेष पूजन अर्चन और रुद्राभिषेक होगा।
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि वर्ष में तीन से चार बार शनि प्रदोष का विशेष संयोग आता है। आज सर्वप्रथम दोपहर तीन बजे से कोटि तीर्थ कुंड स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की जाएगी। जिसके बाद शाम चार बजे से 6:30 बजे तक 11 पंडितों द्वारा गर्भगृह में बाबा महाकाल का एकादशी-एकादशनी रुद्राभिषेक पाठ के द्वारा अभिषेक पूजन किया जाएगा। मंदिर के पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में यह पूजन होगा, जिसके बाद शाम 7:00 बजे सांध्य आरती में बाबा महाकाल को पकवानों का भोग लगाया जाएगा।
श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि का व्रत सुख, सौभाग्य और सफलता प्रदान करता है। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदोष के दिन पार्थिव शिवलिंग के रूप में शिवजी का पूजन अर्चन करने से श्रद्धालुओं के समस्त संकटों का निवारण हो जाता है। वहीं, आज के दिन शनि प्रदोष का विशेष संयोग होने के कारण जो भी श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करेंगे उसे शनि दोष से भी मुक्ति मिलेगी।