पारंपरिक संस्कृत डिग्रीधारी शिक्षकों को संस्कृत कॉलेजों के योग्य माना

जोधपुर: आरपीएससी के अस्पष्ट नियमों से फिलहाल ऐसी स्थिति बन रही है कि सामान्य व संस्कृत कॉलेजों दोनों में ही पारंपरिक संस्कृत योग्यताधारियों को तो मौका मिल पा रहा है, जबकि आधुनिक संस्कृत में एमए योग्यताधारियों को केवल सामान्य कॉलेजों तक की सीमित रखा जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के लिए आयोजित प्रथम, द्वितीय …

Update: 2024-01-24 00:46 GMT

जोधपुर: आरपीएससी के अस्पष्ट नियमों से फिलहाल ऐसी स्थिति बन रही है कि सामान्य व संस्कृत कॉलेजों दोनों में ही पारंपरिक संस्कृत योग्यताधारियों को तो मौका मिल पा रहा है, जबकि आधुनिक संस्कृत में एमए योग्यताधारियों को केवल सामान्य कॉलेजों तक की सीमित रखा जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के लिए आयोजित प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी पारंपारिक संस्कृत की वरिष्ठ उपाध्याय आदि डिग्री नहीं होने पर एमए व बीएड संस्कृत के कई डिग्रीधारियों को बाहर किया गया था।

आरपीएससी की ओर से सरकारी कॉलेजों में संस्कृत सहायक आचार्य की भर्ती में नियम स्पष्ट नहीं होने से अभ्यर्थी असमंजस में हैं। सामान्य व संस्कृत कॉलेजों की भर्ती की योग्यताएं अलग-अलग निर्धारित की गई हैं। इसको लेकर अभ्यर्थियों ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने और भेदभाव दूर करने की मांग को लेकर ज्ञापन भेजा है।

सामान्य व संस्कृत कॉलेजों में योग्यता अलग : आरपीएससी ने सामान्य कॉलेजों के लिए गत 22 जून को विज्ञापन जारी किया था। इसमें संस्कृत सहायक आचार्य पद के लिए संस्कृत में पीजी डिग्री के साथ पीएचडी व नेट स्लेट योग्यताधारी अभ्यर्थियों को पात्र माना है। वहीं संस्कृत कॉलेजों में भर्ती के लिए गत 12 जनवरी को विज्ञापन जारी किया। इसमें आचार्य डिग्री के साथ पीएचडी व नेट स्लेट योग्यताधारी अभ्यर्थियों को पात्र माना है।

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