मलिक और देशमुख महाराष्ट्र एमएलसी चुनाव में वोट दे पाएंगे या नहीं? अदालत ने कल के लिए सुरक्षित रखा फैसला
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने राकांपा नेता नवाब मलिक और अनिल देशमुख की महाराष्ट्र विधानपरिषद चुनाव में मतदान करने की मांग वाली याचिका फैसला सुरक्षित रख लिया है। महाराष्ट्र में विधानपरिषद चुनाव के लिए मतदान 20 जून को होना है।
जस्टिस एन.जे. जमादार ने गुरुवार को सभी पक्षों की व्यापक दलीलें सुनीं और फैसला शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया।
मलिक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कहा कि मंत्री का मामला अदालत की हिरासत में रहते हुए अपना वोट डालने के लिए एस्कॉर्ट में जाने का एक साधारण अनुरोध का है। देसाई ने कहा, "वह (नवाब मलिक) इस समय अस्पताल में हैं और जेल के अंदर सीमित नहीं हैं। उन्हें अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है, इसलिए उन्हें वोट डालने की प्रक्रिया से अयोग्य नहीं ठहराया गया है।"
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अदालत के पास वर्तमान मामले में अपेक्षित अनुमति देने का विवेकाधिकार है। देसाई ने कहा, क्या ऐसा कोई मामला हो सकता है कि एक विचाराधीन (जिसका निर्दोष होने का अनुमान है, जिसके खिलाफ अदालत में भी मामला नहीं हो खोला गया हो) को लोकतंत्र में वोट देने के अधिकार से वंचित किया गया हो? या उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर रखा गया हो?
राकांका नेता नवाब मलिक महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में 23 फरवरी 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और वो अभी न्यायिक हिरासत में हैं। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को पहले ही खारिज कर दिया है।
इससे पहले स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने अनिल देशमुख और नवाब मलिक की राज्यसभा के लिए वोट डालने की याचिका को खारिज कर दिया था। जिसे उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को सुनने से ही इनकार कर दिया था।
महाराष्ट्र में 20 जून को होने वाले विधानपरिषद चुनाव से पहले मलिक की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मलिक को बर्खास्त करने वाली याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि ईडी के द्वारा गिरफ्तारी के बाद भी नवाब मलिक अपने पद पर बने हुए हैं।