महंगाई के इस जमाने में एक टमाटर ऐसा भी है जो आधी मूल्य पर भी नहीं बिक रहा. प्रतिबंधित नेपाली टमाटर के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होने की जानकारी आम होने के बाद आधे मूल्य पर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं. स्मग्लिंग कर सीमावर्ती मंडियों तक पहुंचने वाला नेपाली टमाटर बुधवार को महेवा मंडी में थोक में 50 रुपये किलो में भी नहीं बिका जबकि देशी का रेट 100 से 120 रुपये तक रहा.
बमुश्किल एक हफ्ते पहले बेंगलुरु का टमाटर जहां 100 से 120 रुपये प्रति किलो महेवा की थोक मंडी में बिक रहा था, वहीं नेपाली टमाटर भी 70 से 80 रुपये प्रति किलो धड़ल्ले से बिक रहा था. सस्ता होने से नेपाली टमाटर की स्मग्लिंग बढ़ गई थी. इस बीच सोनौली में स्मग्लिंग के टमाटर को लेकर प्रश्नों में घिरी कस्टम विभाग की कार्रवाई तब लोगों को पता चला कि नेपाल से इसके आयात पर प्रतिबंध है. प्रतिबंध स्वास्थ्य कारणों से होने की बात सामने आने के बाद लोग नेपाली टमाटर से परहेज करने लगे.
महेवा मंडी में सब्जी विक्रेता पंकज कुमार ने बताया कि ‘मंगलवार को दो पिकअप नेपाली टमाटर महेवा मंडी में आया था. वह बुधवार को भी नहीं बिक सका. व्यापारी ने कस्बाई बाजारों में 40 रुपये के रेट बेचकर किसी तरह पूंजी निकाली.’ थोक सब्जी विक्रेता विनोद कुमार ने बताया कि बेंगलुरु और नासिक का टमाटर ही थोक मंडी में बिक रहा है. बुधवार को टमाटर 100 से 120 रुपये प्रति किलो तक बिका जबकि बचे हुए नेपाली टमाटर का कोई खरीदार नहीं मिला.
सोनौली के क्वारंटीन लैब प्रभारी सूरज चौधरी नेपाल से आयात होने वाली सब्जियों की सूची में टमाटर साल 2003 से ही प्रतिबंधित है. वहां से आ रहे टमाटर को लेकर कुछ बोलना संभव नहीं है. कीटनाशक और वातावरण के आधार पर खाद्य पदार्थों के आयात की अनुमति दी जाती है. नेपाली टमाटर को हर हाल में नष्ट करने के निर्देश दिये गए हैं.