जब अचानक अपने सचिव के कार्यालय पहुंचे अनिल विज, कर्मचारियों के साथ क्या हुई बातें?

Update: 2023-02-28 18:52 GMT
चंडीगढ़। बेहद विशालकाय विभागों का कार्यभार संभाल रहे प्रदेश के मंत्री अनिल विज लगातार जनता के बीच रहकर समस्याओं का समाधान करते बेशक खूब दिखते होंगे। राजनीतिक उतार-चढ़ाव के दौरान भी अपने सामाजिक ताना-बाना को बड़े संभाल कर रखते हुए भी उनके नजदीकी लोगों ने उन्हें खूब देखा होगा। लेकिन आमतौर पर दीये तले अंधेरा वाला मुहावरा राजनीतिज्ञों की जीवन शैली में देखने को मिलता है। पारिवारिक जीवन जीने वाला व्यक्ति भी बेशक सामाजिक रुप से कितना भी एक्टिव हो, लेकिन बात घरेलू कार्यों की आए तो समय निकालना हर व्यक्ति को काफी मुश्किल लगता है। ठीक इसी प्रकार अगर बात राजनीतिज्ञों की करें तो आमतौर पर कार्यालयों में मौजूद कर्मचारियों को समय देना एक जिम्मेदार ओहदे पर बैठे किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता। लेकिन ठीक इससे उलट अगर बात प्रदेश के बेहद वरिष्ठ मंत्री जो प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारियां अपने कंधे पर उठाए हुए हैं, वह अनिल विज ना केवल सामाजिक ढांचे को बड़ी मजबूती से ताकत दिए हुए नजर आते हैं, जिनके सप्ताह के 2 दिन प्रदेश की जनता को समर्पित हैं। उनकी हाजिरी सचिवालय में रौनक और चहल-पहल का कारण नजर आती है। अंबाला निवास हो या चंडीगढ़ सचिवालय अनिल विज हमेशा सैकड़ों लोगों से घिरे हुए नजर आते हैं।
प्रदेशभर के कोने-कोने से जनता अनिल विज के पास फरियाद लेकर पहुंचती है। ऐसे में कार्यालय के कर्मचारियों के लिए वक्त निकालना कोई आसान बात नहीं हो सकती। मंगलवार को अचानक एक अचरज भरा लेकिन उत्साहवर्धक ऐसा ही नजारा हरियाणा सचिवालय में देखने को मिला। जब प्रदेश के गृह- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अपने निजी सचिव के कार्यालय में अचानक पहुंच गए और चाय मंगवाने के लिए बोले। उस वक्त कार्यालय में उनके निजी सचिव कृष्ण भारद्वाज, सतीश कुमार और विजय शर्मा व पूरा स्टाफ मौजूद थे। विज द्वारा दिए गए इस सरप्राइस से कर्मचारियों में काफी खुशी देखने को मिली। विज की पास में मौजूदगी हालांकि निजी सचिव के लिए कोई नई बात नहीं थी, लेकिन निजी सचिव के कार्यालय में पहुंचना, चाय मंगवाने के लिए खुद बोलना और फिर चाय पीते हुए 50 मिनट तक कर्मचारियों के स्वास्थ्य, उनके परिवार, उनके दुख-सुख के बारे चर्चा करना एक बेहद हौसला वर्धक बात थी। आमतौर पर दीये तले अंधेरा का मुहावरा केवल ब्यूरोक्रेसी या राजनीतिज्ञों के जीवन में नहीं, बल्कि आम जनमानस के जीवन में भी देखने को मिलता है। क्योंकि सामाजिक ढांचे से घिरा हुआ व्यक्ति जितना वक्त बाहर अन्य लोगों को दे पाता है, परिवार को नहीं दे पाता। पारिवारिक सदस्यों की हमेशा यह शिकायत ऐसे लोगों के जीवन में बनी भी रहती है। इस प्रकार से बेहद महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने के बावजूद किस प्रकार से अनिल विज के जहन में अपने कर्मचारियों के साथ वक्त बिताने की आई, किस प्रकार से कर्मचारियों से उनके परिवार, उनके बच्चों और उनके स्वास्थ्य के बारे में एक लंबी बातचीत अनिल विज ने की, यह विज की सकारात्मक सोच को दर्शाने के लिए काफी है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज हमेशा अपने अलग राजनीतिक जीवन-कार्यशैली और लाइफस्टाइल को लेकर लोगों में सुर्ख़ियो का कारण बने रहते हैं, लेकिन यह नजारा पूरे सचिवालय में चर्चा का कारण बना रहा।
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