इंडोनेशिया ने पाम तेल एक्सपोर्ट टैक्स पॉलिसी में हाल ही में घोषित बदलावों को लागू करने के लिए नए नियम जारी कर दिए हैं. जिसमें निर्यात प्रतिबंध खत्म होने के बाद धीमी गति से वापसी करने वाले शिपमेंट में तेजी लाने के लिए अधिकतम लेवी दर में कटौती शामिल है. यह जानकारी देते हुए अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठक्कर ने बताया नया लेवी दर जुलाई अंत तक जारी रहेगा. अगस्त में फिर से इस पर पुनर्विचार कर दरों में बदलाव किया जा सकता है. उधर, इंडोनेशिया ने पाम ऑयल एक्सपोर्ट (Palm Oil Export) से प्रतिबंध हटाने के बाद सोमवार तक 1.16 मिलियन टन पाम तेल उत्पादों के निर्यात परमिट को मंजूरी दे दी है. यह माल भारत में आने के बाद खाद्य तेलों के दाम में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.
दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल निर्यातक इंडोनेशिया ने खाना पकाने के तेल के घरेलू स्टॉक को बढ़ावा देने और स्थानीय कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए तीन सप्ताह तक निर्यात प्रतिबंध के बाद 23 मई से शिपमेंट को फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी. लेकिन इस दौरान निर्यात में इंडोनेशिया (Indonesia) काफी पीछे हो गया. वहां पाम ऑयल उत्पादन से जुड़े सभी लोग घाटे में आने लगे. इसलिए अधिकारियों ने एक ऐसी योजना शुरू की है जिससे एक्सपोर्ट में तेजी आए. इसी के जरिए निर्यात से संबंधित नियमों में बदलाव किया गया है.
ठक्कर ने बताया कि मंगलवार को कच्चे पाम तेल के लिए अधिकतम लेवी दर को 375 डॉलर से घटाकर 200 डॉलर प्रति टन कर दिया गया. यह दर 31 जुलाई तक प्रभावी है रहेगी. इंडोनेशियाई निर्यातक शिपमेंट पर एक लेवी और एक एक्सपोर्ट टैक्स का भुगतान करते हैं. कुल मिलाकर, पाम ऑयल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए लेवी और टैक्स दोनों की संयुक्त सीमा 575 डॉलर प्रति टन से घटाकर 488 डॉलर प्रति टन की गई है.
व्यापार मंत्रालय ने हाल ही में निर्यात के लिए आवंटन को बढ़ाकर 2.25 मिलियन टन कर दिया, जो पहले लगभग 10 लाख टन था. इससे भारत की जनता को खाद्य तेलों के दाम (Edible Oil Price) में राहत मिलेगी. क्योंकि भारत सबसे ज्यादा पाम ऑयल इंडोनेशिया से ही आयात करता है.