अंडरवॉटर शहर: इस खबर को पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे, जानिए प्रोजेक्ट के बारें
सोचिए अगर पानी के अंदर पूरा का पूरा शहर बसा दिया जाए. उसमें लोगों के रहने के लिए लग्जरी फ्लैट्स हों, घूमने और शॉपिंग करने के लिए मॉल्स हों, होटल हों, बिजनेस करने के लिए दफ्तर हों और ट्रांसपोर्ट के सारे साधन भी हों. सूरज की पूरी रोशनी मिलती हो, ऑक्सीजन की कोई कमी न हो और खाने-पीने के लिए विटामिन और मिनरल्स से भरपूर भोजन सबको मुहैया कराया जाए और वो भी धरती से बिना कोई मदद लिए हुए. लेकिन जब आपको धरती घूमने आना हो तो बस कुछ मिनटों की यात्रा कर आप ऐसे आ जाएं जैसे किसी पास के शहर से आ रहे हों तो कैसी होगी लाइफ? ऐसे ही फ्यूचर अंडरवॉटर सिटी का कॉन्सेप्ट लोगों को चौंका रहा है. हम आपको बताएंगे कि कहां और कैसे चल रही है ऐसी फ्यूचर सिटी बसाने की तैयारी?
हमने केवल फिल्मों और बच्चों के कार्टून्स में हीं अंडरवॉटर शहर यानी पानी के अंदर बसे शहरों की झलक देखी होगी लेकिन जल्द ही ये हकीकत का रूप ले सकता है. जापान की एक मल्टीनेशनल कंट्रस्क्शन और आर्किटेक्चर कंपनी ने ऐसा ही कॉन्सेप्ट सामने रखा है. जहां पूरी तरह पानी के अंदर बसे शहर में हजारों लोगों के रहने के लिए घर, घूमने के लिए मॉल, होटल, मार्केट और सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
धरती पर 71 फीसदी हिस्सा पानी का है. समंदर ठोस सतह को चारों ओर से घेरे हुए है. बीच-बीच में महाद्वीप बसे हुए हैं. धरती के कोने-कोने में इंसान अपनी रिहायश बसा चुका है. देश, महादेश, महाद्वीप, माइक्रोनेशंस, होनोलूलू के द्वीप, यहां तक कि अंटार्कटिका के बर्फ भरे इलाकों में भी इंसान रहने की कोशिशें कर रहा है लेकिन अब इंसान समंदर के गहरे हिस्से में भी जाकर बसने की योजना पर काम कर रहा है. जापान और दुनियाभर में कई बड़े अत्याधुनिक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट बना चुकी जापान की बहुराष्ट्रीय आर्किटेक्चर कंपनी Shimizu Corporation की महत्वाकांक्षी योजना है अंडरवॉटर सिटी बसाने की. यह अपनी तरह का दुनिया का ऐसा पहला शहर बन सकता है जो पूरी तरह पानी के अंदर होगा और लोग धरती के लोगों की तरह नॉर्मल लाइफ जी सकेंगे.
ये अंडरवॉटर शहर Ocean Spiral चौड़ाई में फुटबॉल के चार मैदान के साइज के बराबर होगा और समंदर के सतह से नीचे दो मील अंदर तक बसा होगा. यहां लोगों के रहने के लिए घर, बिजनेस की जगह, होटल, मॉल, मार्केट, ट्रांसपोर्ट के साधन सबकुछ धरती की तरह ही होंगे बल्कि उससे भी ज्यादा लग्जरियस. इसका बाहरी आवरण मजबूत और हर खतरे से सेफ बना होगा और अंदर रह रहे या घूम रहे लोग समंदर के अंदर की जिंदगी को आसानी से देख सकेंगे. कंपनी ने इस प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट और प्लान की तस्वीरें भी जारी की हैं. इसे देखकर आप आभास कर सकते हैं कि पानी के अंदर जो लोग रहेंगे उनकी लाइफ कैसी होगी.
इस अंडरवॉटर सिटी के अंदर का ढांचा समंदर के अंदर तीन जोन में बना होगा. समंदर के जलस्तर से नीचे स्पाइरल वे के रास्ते जाने पर 200 मीटर नीचे सबसे अहम ब्लू गार्डेन बना होगा जहां इंसानों के बसने, काम करने और होटल-मॉल जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इसे पूरी सिटी का बेस जोन कहा जा सकता है. Ocean Spiral अंडरवॉटर सिटी में समंदर के जलस्तर के 200 मीटर नीचे बने ब्लू गार्डेन में 75 फ्लोर में कमर्शियल गतिविधियों के लिए सारी सुविधाएं, हाउसिंग, होटल आदि बने होंगे. इस पॉड के लिए हाईड्रोलिक प्रेशर के साथ उत्पादित desalinated water की सप्लाई होगी. इसके नीचे 15 किलोमीटर का स्पाइरल मार्ग बनाया जाएगा जो कि नीचे समंदर के सतह में बनी अर्थ फैक्ट्री तक ले जाएगा. जहां साइंटिफिक लैब बनी होगी. जो समंदर की तलहट्टी में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों से ऊर्जा के उत्पादन और खाना-पीना जैसी जरूरी चीजों के प्रोड्क्शन की सुविधा विकसित करेगी.
यहां पर रहने वाले लोग क्या खाएंगे? क्या धरती से जाएगा इनके लिए सामान? इसका जवाब है नहीं... इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने का प्लान है. खाना, ऊर्जा, पानी, ऑक्सीजन और प्राकृतिक संसाधन.. इंसान की पांच बड़ी जरूरतों की इस अंडरवॉटर शहर में कमी न हो इसका ध्यान रखते हुए इस शहर को बसाने का प्रोजेक्ट तैयार हुआ है. प्रोजेक्ट बनाने वाली कंपनी का कहना है कि जापान जैसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहर और शहरीकरण के कारण बढ़ी भीड़भाड़ और शहरों की बढ़ती चुनौतियों का हल देगा ये Underwater Sea City. इस शहर को पूरी तरह इको फ्रेंडली बनाने का प्लान है. यहां 5000 लोगों के लिए रहने के लिए सारी सुविधाएं होंगी. यहां जीवन को बसाने के लिए ऊर्जा की सारी जरूरतें समंदर की तलहट्टी से ही जुटाई जाएंगी. आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के जरिए ये शहर खाना-पानी-ऑक्सीजन जैसी सारी जरूरतों की पूर्ति समंदर की तलहट्टी से करेगा.
इस स्पाइरल सिटी के ढांचे में सबने नीचे जो अर्थ प्लेनेट बनाया जा रहा है दरअसल वो तकनीक का बेस है. वहां साइंटिफिक लैब से लेकर प्रोडक्शन सेंटर तक सबकुछ रहेगा. जो समंदर की तलहटी में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों से न केवल एनर्जी का उत्पादन करेगा बल्कि खाने-पीने के सामानों का उत्पादन भी करेगा. इस शहर में 5000 लोगों को बसाने और उनकी सारी जरूरतें पूरी करने की प्लानिंग की गई है. जो लोग भी धरती से अलग कहीं बसना चाहते हैं उनके लिए यहां सारी सुविधाएं जुटाए जाने का प्लान है. सारे संसाधन कैसे जुटेंगे इसलिए जापान के मैरिटाइम एक्सपर्ट्स की टीम ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट उपलब्ध कराई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि न केवल भूकंप और सुनामी जैसे खतरों से बचाने के लिए बल्कि भविष्य में बढ़ते सी लेवल से शहरों के डूबने पर इंसानों को रहने का नया विकल्प देने और क्लीन एनर्जी स्रोतों को विकसित करने के लिहाज से भी ये बेहतरीन कदम है.
कंपनी का कहना है कि ये प्रोजेक्ट एक रियल गोल है. इस प्रोजेक्ट में कंपनी के प्लानर्स के अलावा, टोक्यो यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स, जापान सरकार के मंत्रालय और ऊर्जा कंपनियां भी जुड़ी हैं. कंपनी साल 2014 से इस प्रोजेक्ट के लिए जरूरी तकनीक हासिल करने की दिशा में जुटी हुई है. इस प्रोजेक्ट पर 16 बिलियन पाउंड का खर्च आने का अनुमान है. भारतीय करेंसी में इसे देखें तो ये राशि करीब 1534 अरब रुपये होती है. इस पूरे अंडरवॉटर सिटी का बाहरी ग्लोब आवरण ट्रांसपैरेंट फाइबरग्लास का होगा और मजबूत आर्किलिक तकनीक से बना होगा. जो न सिर्फ मजबूत होगा बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह के खतरे से सेफ बनाएगा.
अंडरवॉटर सिटी के इस प्रोजेक्ट को स्पाइरल शेप में बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि जापान की सबसे बड़ी समस्या भूकंप और सुनामी को ध्यान में रखकर इसे बनाया जा रहा है ताकि घेरा बने होने के कारण मजबूत आधार मिले. समंदर के बीच में बसे जापान में हर साल भूकंप के हजारों झटके, सुनामी की लहरें आती हैं और तटों पर बसे शहरों और कस्बों-गावों को तबाह कर जाती है. 2011 में आई सुनामी की तबाही तो पूरी दुनिया ने देखी. अब जापान के इस प्रोजेक्ट के जरिए ऐसा शहर बसाने की तैयारी है जो पानी में बसे होने के कारण भूकंप और सुनामी की लहरों से सेफ रहे.
इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया है- OCEAN SPIRAL. यह पूरा प्रोजेक्ट एक स्पाइरल शेप में होगा जो समंदर के ऊपरी सतह से शुरू होकर तलहटी में 2.8 किलोमीटर अंदर तक जाएगा. स्पाइरल के बीच में 500 मीटर के डायमीटर के ग्लोब वाला हिस्सा होगा जो समंदर के अंदर सनलाइट जोन होगा. यह समंदर के जलस्तर के 200 मीटर अंदर होगा. स्पाइरल का ये रूट 2.8 किलोमीटर अंदर तक जाएगा जो इस शहर का सबने निचला हिस्सा होगा. यहां पर CO2 स्टोरेज और रियूज प्लांट, जरूरी संसाधनों का उत्पादन और बाकी प्रोडक्शन का काम होगा. यह इस स्पाइरल शहर का सबसे निचला हिस्सा होगा जिसे अर्थ फैक्टरी का नाम दिया जाना है.
इससे ऊपर का हिस्सा समंदर के जलस्तर से 2500 मीटर अंदर बना होगा. यहां डीप सी सबमरीन पोर्ट बना होगा. यहां बिजली सप्लाई, पानी, ऑक्सीजन सप्लाईट के प्लांट होंगे. इसका ऊपरी फ्लोर 2000 मीटर अंदर बसा होगा. जहां ड्रिफ्टिंग और कंस्ट्रक्शन के बैलेंस पर फोकस करके स्ट्रक्चर बनाया जाएगा. इसके ऊपर 1500 मीटर के स्तर पर लोअर मिडनाइट जोन का निर्माण होना है. यहां तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस होगा.
इसके ऊपर समंदर के पानी के अंदर 1000 मीटर की गहराई में पानी के अंदर इस स्पाइरल सिटी का सबसे अहम हिस्सा बसा होगा. इसे अपर मिडनाइट जोन नाम दिया जाना है. इस इलाके तक सूरज की रोशनी पहुंचना मुश्किल है ऐसे में यहां समंदर के जलसतह की अपेक्षा 20 डिग्री तक तापमान का अंतर देखने को मिल सकता है. समंदर के अंदर की लहरों का भी इस स्तर पर काफी असर दिखेगा. स्पाइरल सिटी में इस स्तर तक इंसानों की पहुंच होगी, ट्रांसपोर्ट की भी यहां तक व्यवस्था होगी. बिजली, पानी, ऑक्सीजन सब की सप्लाई यहां तक सुचारू तरीके से रहेगी. 1000 मीटर पर पावर जेनरेशन, 1500 मीटर पर कोल्ड वॉटर प्लांट फार्मिंग के लिए जगह बनेगी.
इसे बनाने वाली कंपनी ऐसे इनोवेटिव आइडिया पर पहले भी काम करती रही है. यह कंपनी पहले फ्लोटिंग बोटनिकल सिटी बनाकर अपने इनोवेशन का परिचय दे चुकी है. इसके अलावा मून और सोलर एनर्जी के पूरे इस्तेमाल के लिए लूना रिंग, स्पेस में होटल जैसी कई और प्रोजेक्ट पर भी ये कंपनी काम कर रही है. तो उम्मीद करते हैं जल्द ही इंसानों को बसाने के लिए पानी के अंदर शहर बनकर तैयार होगा और आप रहने न भी जाएं तो जीवन का एक नया आइडिया लेने के लिए वहां घूमने जाने का मौका तो निकाल ही सकते हैं.