प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ आदिवासी उपयोजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से लोहागढ़, धरियावाड़ में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा रबी मक्का पर फील्ड डे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आरए कौशिक, निदेशक, विस्तार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने रबी मक्का की वैज्ञानिक खेती की जानकारी दी. बताया कि खरीफ की तुलना में रबी में मक्का की पैदावार दोगुनी होती है। ऐसे में अधिक से अधिक मक्का की खेती कर किसान अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. कौशिक ने हाईब्रिड मक्का की जानकारी दी। बताया कि इसका बीज हर साल बदल देना चाहिए। जिससे अधिक उपज प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों के खेतों में नवीनतम तकनीक को स्थानांतरित कर मक्का की उपज में वृद्धि करना है। इस कार्यक्रम में डॉ. पी.सी. चपलोत, प्राध्यापक प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने किसानों को रबी मक्का की उन्नत किस्मों की जानकारी प्रदान की। उन्होंने मक्का के विभिन्न रोगों की पहचान एवं नियंत्रण की जानकारी दी।
डॉ. चपलोत ने कहा कि खरीफ मक्का की तुलना में रबी मक्का में रोग और कीट का प्रकोप कम होता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जोत का आकार दिनों-दिन घटता जा रहा है, अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली को विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। फसल उत्पादन के साथ-साथ मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, अजोला और सब्जियों की खेती भी की जानी चाहिए, ताकि उनकी आजीविका मजबूत हो सके। इस मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्र प्रभारी डॉ. योगेश कनौजिया ने किसानों को मृदा परीक्षण की जानकारी दी. उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर विशेष जोर देते हुए किसानों से कहा कि वे अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। सरपंच शंकर मीणा ने बताया कि लोहागढ़ गांव में कृषि विज्ञान केंद्र प्रतापगढ़ द्वारा पिछले वर्ष पहली बार रबी मक्का का उत्पादन किया गया था. जिसमें किसानों को प्रति बीघा 18 से 20 क्विंटल मक्का की उपज प्राप्त हुई। जिसमें उन्हें गेहूं से ज्यादा आमदनी हुई। इससे उत्साहित होकर इस वर्ष गांव के 50 किसानों ने 100 बीघा रकबे में रबी मक्का की बुआई की।